नई दिल्ली : वैश्विक साइबर शक्ति को लेकर हार्वर्ड केनेडी स्कूल स्थित 'बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स' द्वारा जारी की गई पथ-ब्रेकिंग रिपोर्ट में भारत को 21वें स्थान पर रखा गया है. भारत राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को लेकर देश लंबे समय से काम कर रहा है, लेकिन अब भी नई राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी नहीं मिली है. वहीं अमेरिका राष्ट्रीय साइबर पावर इंडेक्स (NCPI) में सबसे ऊपर है, जबकि चीन को साइबर क्षमताओं के मामले में दूसरे सबसे शक्तिशाली राष्ट्र का स्थान हासिल हुआ है. इसके बाद ब्रिटेन, रूस, नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं. वहीं भारत 21वें स्थान पर है.
NCPI सात राष्ट्रीय उद्देश्यों के संदर्भ में 30 देशों की साइबर क्षमताओं को मापता है, जिसमें सर्विलेंस और घरेलू समूहों की निगरानी ,राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा को मजबूत करना और बढ़ाना, सूचना पर्यावरण को नियंत्रित करना और उसमें छेड़छाड़ करना, राष्ट्रीय सुरक्षा, वाणिज्यिक लाभ या घरेलू उद्योग के विकास को बढ़ाने के लिए विदेशी खुफिया संग्रह, एक प्रतिकूल अवसंरचना और क्षमताओं को नष्ट करना और अंत में अंतर्राष्ट्रीय साइबर मानदंडों और तकनीकी मानकों को परिभाषित करना शामिल है.
NCPI राष्ट्र के इरादे (intent) के साथ-साथ साइबर 'क्षमता' का एक संयुक्त उपाय है. साइबर इंटेंट के क्षेत्र में चीन ने अमेरिका को भी पछाड़ते हुए इस सूची में पहला स्थान हासिल किया है.
चीन के इंटेट को लेकर हार्वर्ड रिपोर्ट कहती है कि अपराध के लिए चीन का इरादा विशेष रूप से दिलचस्प है, क्योंकि उनकी आधिकारिक स्थिति यह है कि वह साइबर हमलों के सभी रूपों के खिलाफ है और साइबर स्पेस के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए वकालत करता है.
अप्रैल-मई के बाद पूर्वी लद्दाख में हिमालय में भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण सीमा सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि में रिपोर्ट के निष्कर्ष काफी महत्वपूर्ण है, जहां दोनों देशों के बीच हालात सुधरने के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं.