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Published : Aug 16, 2020, 4:05 PM IST

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मॉरीशस में तेल रिसाव को रोकने के लिए भारत ने मदद भेजी

मॉरीशस के हिंद महासागर द्वीप में एक जहाज से हो रहे तेल रिसाव को रोकने के लिए भारत ने अपनी SAGAR नीति के तहत IAF विमान से 30 टन से अधिक तकनीकी उपकरण और सामग्री मॉरिशस भेजी है. इसके अलावा भारत ने वहां एक चिकित्सा सहायता टीम भी रवाना की है.

भारत ने मदद भेजी
भारत ने मदद भेजी

नई दिल्ली : भारत सरकार ने मॉरीशस में हो रहे तेल रिसाव की रोकथाम और बचाव कार्यों में मदद करने के लिए IAF विमान से 30 टन से अधिक तकनीकी उपकरण और सामग्री भेजी है.

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, सफाई और बचाव कार्यों के लिए भेजे गए इन उपकरणों में, ओशियन बूम, रिवर बूम, डिस्क स्किमर्स, हेली स्किमर्स, पावर पैक, ब्लोअर्स, साल्वेज बार्ज और ऑयल एब्जॉर्बेंट ग्राफीन पैड्स और अन्य सामान शामिल हैं. इन उपकरणों को विशेष रूप से तेल को पानी से बाहर निकालने के लिए बनाया गया है.

इस के अलावा सहायता के लिए एक 10-सदस्यीय तकनीकी प्रतिक्रिया दल, जिसमें भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के जवान शामिल हैं, को मॉरीशस भेजा गया है. यह टीम विशेष रूप से तेल रिसाव रोकथाम के उपायों से निपटने के लिए प्रशिक्षित है.

इस मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट करते हुए कहा लिखा कि सागर नीति काम कर रही है.

विदेश मंत्री के अनुसार भारत द्वारा मॉरिशस को भेजी गई मदद मानवीय सहायता और आपदा राहत की नीति के अनुरूप है. यह मदद प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता नीति 'क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास' (SAGAR ) द्वारा निर्देशित है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में अपने पड़ोसियों के मदद के लिए बनाई गई है.

पढ़ें- मॉरिशस में पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा की गई

तत्काल भेजी गई सहायता भारत और मॉरीशस के बीच बेहतर रिश्ते और भारत की मॉरीशस के लोगों की सहायता के लिए लंबे समय से स्थायी प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

बता दें कि इससे पहले भारत ने मॉरीशस को कोविड -19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में हाल ही मदद दी थी.

मंत्रालय ने बताया कि मिशन 'सागर' के तहत मॉरिशस भेजी गई टीम में एक चिकित्सा सहायता टीम भी रवाना की गई है, जो आवश्यक दवाओं के साथ ही आयुर्वेदिक दवाओं की एक विशेष खेप साथ लेकर गई है.

हाल ही में मॉरीशस के हिंद महासागर द्वीप मेंएक जहाज फंस जाने से कई टन तेल समुद्र में फैलने लगा, जिससे वहां के लोग और पर्यावरण को खतरा पैदा हो गया है, जिसके बाद मॉरिशस में पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा कर दी गई.

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