काठमांडू : नेपाल के साथ भारत के संबंध 2019 में मजबूत रहे हैं और इस दौरान उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय यात्राओं तथा ऊर्जा सहयोग से इन संबंधों को और बल मिला. नेपाल अपने भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के कारण भारत की विदेश नीति में एक विशेष महत्व रखता है. दोनों देशों के लोग विवाह और पारिवारिक संबंधों के माध्यम से घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं, जिन्हें 'रोटी-बेटी का रिश्ता' (भोजन और परिवार का संबंध) भी कहा जाता है.
भारत और चीन के बीच स्थित इस हिमालयी राष्ट्र ने कई वर्षों तक राजनीतिक अस्थिरता का दौर देखा, जिसके बाद दिसंबर 2017 में हुए ऐतिहासिक चुनावों में चीन समर्थक वामपंथी गठबंधन सत्ता में आया.
इस साल की शुरुआत नेपाल द्वारा 2000 रुपये, 500 रुपये और 200 रुपये की भारतीय मुद्रा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के साथ हुई. इस फैसले का सबसे अधिक असर भारतीय पर्यटकों पर हुआ. नेपाल में भारतीय मुद्रा बहुतायत से इस्तेमाल होती थी.
हालांकि, इन फैसलों का आपसी गर्मजोशी पर बहुत असर नहीं पड़ा और द्विपक्षीय संबंध मजबूत बने रहे.
नेपाल-भारत के संयुक्त सचिव स्तर की वार्ता फरवरी में पोखरा में हुई, जहां शीर्ष अधिकारियों ने द्विपक्षीय व्यापार और पारगमन संघि की समीक्षा की.
विदेश सचिव विजय गोखले ने मार्च में प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली से काठमांडू में भेंट की और रेलवे तथा जलमार्ग परियोजनाओं पर चर्चा की.
दोनों पक्षों ने भूकम्प के बाद आवासीय परियोजनाओं के पुनर्निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में प्रगति की समीक्षा की.
भारत ने पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए 25 करोड़ डॉलर की सहायता देने का वादा किया. भारत ने भूकम्प में क्षतिग्रस्त हुए मकानों को फिर से बनाने के लिए 1.6 अरब रुपये की आर्थिक सहायता दी.