हैदराबाद : भारत ने संकट काल में अपने प्रवासी नागरिकों को मदद पहुंचाकर हमेशा एक नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया है. जब भी प्रवासी भारतीयों को घर लाने की मांग उठी, सरकार हाजिर रही है. भारत ने अब तक 30 से अधिक अभियान विदेश से प्रवासी भारतीयों को लाने में चलाया है. इनमें से कोरोना वायरस से उत्पन्न त्रासदी के समय का निकासी अभियान दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे जटिल होगा.
कोविड-19 महामारी के बीच नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नौ परिवहन महानिदेशालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय वायु सेना (आईएएफ), भारतीय नौसेना और विदेश मंत्रालय आधुनिक समय के सबसे कठिन निकासी अभियान में कार्यरत हैं. इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मात्र केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अनुसार 201 देशों में बसे 3,50,000 से अधिक केरलवासी वापस देश आना चाहते हैं. इनमें से लगभग आधे तो खाड़ी देश में रहते हैं.
इस तरह से भारत द्वारा दुनिया का सबसे बड़ा निकासी अभियान शुरू किया जाएगा. इसके पहले 1,70,000 प्रवासी भारतीय 1990-91 में इराक के सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला किया था, तब आए थे.
सैन्य सहयोग के अलावा निकासी के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा निभाई जाएगी, जो एयर इंडिया के बेड़े को परिचालन में लाएगी, जबकि दूसरी महत्वपूर्ण भूमिका शिपिंग मंत्रालय द्वारा की जाएगी. सैन्य क्षमताओं को तैनात करने के अलावा, इसमें असैनिक विमानों और जहाजों के चार्टरिंग भी शामिल होंगे.
अभियान से परिचित एक सैन्य अधिकारी ने नाम नहीं लिए जाने की शर्त पर बताया, 'उत्तर भारत के वायुसेना के अड्डे पर कम से कम चार सी-17 ग्लोबमास्टर छह घंटे से तैयार खड़े हैं, जबकि अन्य विमान भी तैयार हैं. अन्य प्लेटफार्मों को भी उपयोग में लाया जाएगा. लगभग तीन से पांच नौसेना युद्धपोत भी तैयार हैं. सभी सरकार से आदेश का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्लेटफार्म की अंतिम संख्या और वह कहां से आएंगे यह सरकार के अंतिम निर्णय पर निर्भर करता है.'