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अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में भारत निभा सकता है अहम भूमिका

कोरोना महामारी के बीच अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय खलीलजाद ने भारत की यात्रा की. खलीलजाद ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला से बात की और अफगानिस्तान शांति समझौते को लेकर गहन विमर्श किया.

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Published : May 9, 2020, 2:30 PM IST

Updated : May 10, 2020, 12:24 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना महामारी और शांति प्रयासों को लेकर भारत की भूमिका की विश्व में सराहना हो रही है. अमेरिका को भारत से काफी उम्मीदे हैं. वह चाहता है कि भारत काबुल की आंतरिक राजनीतिक प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभाए. इन विषयों को लेकर अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय खलीलजाद ने भारत की यात्रा की.

सूत्रों का कहना है कि वार्ता के दौरान भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर गहन चर्चा की गई. इनमें सबसे महत्वपूर्ण काबुल की आंतरिक राजनीतिक प्रक्रिया में भारत की भूमिका को लेकर है. सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि अमेरिकी पक्ष युद्ध ग्रस्त देश अफगानिस्तान को लेकर भारत की तरफ उत्सुकता से देख रहा है. वह चाहता है कि भारत काबुल की आंतरिक राजनीतिक प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभाए. अमेरिका इन दिनों भारत को लेकर काफी उत्सुक है.

भारत भी अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर चिंतित है. यही वजह है कि एस जयशंकर व अजित डोभाल ने खलीलजाद के सामने स्पष्ट कर दिया कि जब तक पाकिस्तान स्थित आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक अफगानिस्तान में स्थाई शांति संभव नहीं है.

खलीलजाद के भारत दौरे को लेकर सूत्रों का कहना है कि एक बड़े बदलाव का संकेत साफ दिखाई दे रहा है, जहां अमेरिका अफगानिस्तान, तालिबान के विषयों पर भारत का रूख जाना चाहता है. वह चाहता है कि भारत काबुल, तालिबान के आंतरिक राजनीतिक घटनाक्रम को करीब से देखे.

सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि जलमय खलीलजाद की विदेश मंत्री जयशंकर और एनएसए डोभाल के साथ बातचीत में आंतरिक विकास, सुरक्षा से जुड़े घटनाक्रम, अमेरिका-तालिबान की बातचीत, विभिन्न प्रस्ताव, अफगानिस्तान में अलग-अलग क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले संपूर्ण मुद्दों पर गौर किया गया. विदेश मंत्रालय के मुताबिक जलमय खलीलजाद ने अमेरिका की तरफ से अफगानिस्तान में शांति प्रयासों की कोशिश के तहत उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी दी.

बातचीत में यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत को इस प्रक्रिया का हिस्सा बने रहने की आवश्यकता है यदि वह प्रभावी रूप से योगदान करना चाहता है. इस दौरान दिल्ली और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच के अच्छे संबंधों पर चर्चा हुई.

साथ ही कुछ समय पूर्व काबुल के एक गुरुद्वारे पर हुए हमले में मारे गए 25 लोगों और अफगानिस्तान में सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर गुरुवार को दोनों पक्षों के बीच आधिकारिक वार्ता में चर्चा हुई.

अमेरिका इस बात को स्वीकार करता है कि भारत ने अफगानिस्तान में हालात बेहतर बनाने में काफी मदद की है. उन्होंने वहां भारत की मदद से चलाई जा रही परियोजनाओं की प्रशंसा की. खलीलजाद ने उम्मीद जताई कि भारत आगे भी इस तरह से मदद करता रहेगा, ताकि वहां स्थाई शांति व स्थिरता बहाल की जा सके. सूत्रों के मुताबिक भारत ने अपनी तरफ से बताया कि वह एक मजबूत व स्थिर अफगानिस्तान के लिए हरसंभव मदद कर रहा है.

सूत्रों के अनुसार, खलीलजाद ने अपने भारतीय वार्ताकारों को आतंकवाद के कारण अफगानिस्तान में बढ़ते खतरे के बारे में जानकारी दी और यह भी बताया कि कैसे वहां सुरक्षा बलों पर तालिबानी हमले बढ़े हैं. अमेरिका मानता है कि भारत ने अफगानिस्तान में शांति और मेल-मिलाप स्थापित करने की दिशा में रचनात्मक भूमिका निभाई है. अमेरिका, अफगानिस्तान की वास्तविक परिस्थितियों को देखते हुए वहां की स्थिति से निपटने में भारत की भूमिका पर नजरे बनाए हुए है.

वह (अमेरिका) चाहता है कि भारत अफगानिस्तान की राजनीतिक मामले में दखल दे. जिससे वहां शांति और सुरक्षा कायम की जा सके. इस यात्रा के दौरान खलीलजाद ने ट्रम्प की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के वरिष्ठ निदेशक लिसा कर्टिस के साथ दोहा से यात्रा की- जहां उन्होंने मुल्ला बरादर से मुलाकात की. खबर है कि ट्रंप प्रशासन तालिबान से जुड़े विषयों पर फिर से बातचीत करने को इच्छुक है.

इस बीच, सूत्रों ने साफ किया है कि दुनिया भर में लॉकडाउन और प्रतिबंधों के बीच भी, चाबहार बंदरगाह का संचालन जारी है और भारत की तरफ से अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के लिए यह पाइपलाइन के तौर पर काम कर रहा है.

सरकारी सूत्रों ने पुष्टि की कि भारत ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से 75000 टन गेहूं पहुंचाया. जिसमें से 5000 टन पिछले महीने भेजे गए थे और गुरुवार को शिपिंग के लिए 10000 टन परिवहन किए गए थे. इसके अतिरिक्त, भारत चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान में चाय और चीनी भेजने की तैयारी में है.

(स्मिता शर्मा-वरिष्ठ पत्रकार)

Last Updated : May 10, 2020, 12:24 PM IST

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