नई दिल्लीः भारत ने बीते पांच सालों में 1,20,000 हेक्टेयर से अधिक प्राथमिक वन भूमि खो दी है. इस रहस्य का खुलासा मैरीलैंड विश्वविद्यालय से हुआ. जिसने दुनिया भर में वन हानि के रुझानों को देखने के लिए नासा उपग्रह की तस्वीरों का रुख किया. ग्लोबल फोरेस्ट वॉच ने डेटा जारी किया है, यह विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआई) से एफीलेटेड आर्गनाइजेशन है, जो अमेरिका में स्थित एक गैर सरकारी संगठन है.
आंकड़ो के मुताबिक, 2009 और 2013 के बीच, जंगलों में 36 प्रतिशत तक की कमी आई है. जबकि 2014 से 2018 के बीच, जंगलों में कुल कटौती 1,22,784 हेक्टेयर थी. जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान 2016 (30,936 हेक्टेयर) व 2017 (29,563) में दर्ज किया गया.
असम के सांसद नबा सरानिया का कहना है कि, 'यह वास्तव में गंभीर मुद्दा है. इस सरकार ने वनों की सुरक्षा के मुद्दे की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. जंगलों की सुरक्षा करने की उनकी कोई इच्छा ही नहीं है.' सरानिया ने केंद्र सरकार को अड़ियल करार देते हुए कहा कि यह रिपोर्ट जंगलों के प्रति केंद्र सरकार के उदासीन रवैये की ओर इशारा करती है.
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बता दें सरानिया वनों के लगातार हो रहे क्षरण के खिलाफ लड़ते रहे हैं, और उनका मानना है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की जरूरत है. दुखद बात यह है कि रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि, पूर्वोत्तर राज्यों ने देश में लगभग आधे जंगल के नुकसान में अपनी भूमिका निभाई है. रिपोर्ट के मुताबिक नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम समेत त्रिपुरा सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं.