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शक्तिशाली 'फाइव आइज' में भारत, टेक कंपनियों पर नकेल की तैयारी

वैश्विक साइबर सुरक्षा सहयोग और व्यक्तिगत गोपनीयता पर गहरे प्रभाव डालने वाली 'फाइव आइज' की एक महत्वपूर्ण बैठक में भारत और जापान ने हिस्सा लिया. क्या है फाइव आइज और इस बैठक में क्या हुआ, जानने के लिए पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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Published : Oct 12, 2020, 5:51 PM IST

Updated : Oct 13, 2020, 9:34 AM IST

नई दिल्ली : वैश्विक साइबर सुरक्षा सहयोग और व्यक्तिगत गोपनीयता पर गहरे प्रभाव डालने वाली 'फाइव आइज' की एक महत्वपूर्ण बैठक में भारत और जापान ने हिस्सा लिया. इस दौरान टेक कंपनियों वाट्सएप, गूगल, सिग्नल, टेलीग्राम, फेसबुक मैसेंजर और एन्क्रिप्टेड कम्यूनिकेशन पर चर्चा हुई. 1941 में स्थापित फाइव आइज ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका की जासूसी नेटवर्क का एक विशिष्ट क्लब है. राजनयिक, सुरक्षा, सैन्य और आर्थिक मसलों पर अन्य देशों के भीतर की सूचना को फाइव आइज आपस में साझा करते हैं.

जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका साथ

शनिवार (भारतीय समयानुसार रविवार) को हुई फाइव आइज की बैठक में भारत और जापान के अनाम प्रतिनिधियों (दोनों देशों ने प्रतिनिधियों के नाम गुप्त रखे हैं) के अलावा ब्रिटेन की गृह राज्य मंत्री प्रीति पटेल, अमेरिकी अटॉर्नी-जनरल विलियम पी बरार, ऑस्ट्रेलियाई गृह मंत्री पीटर डटन, न्यूजीलैंड के सुरक्षा और खुफिया मंत्री एंड्रयू लिटिल और कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री बिल ब्लेयर शामिल थे. बैठक के बाद फाइव आइज के संयुक्त बयान में कहा गया है कि टेक कंपनियों के एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन से वैश्विक साइबर सुरक्षा के सामने चुनौतियों उत्पन्न हो रहीं हैं. टेक कंपनियों की प्रतिबद्धता एन्क्रिप्टेड सेवाओं की श्रेणी में लागू होती है. इसमें डिवाइस एन्क्रिप्शन, कस्टम एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन और एकीकृत प्लेटफार्मों में एन्क्रिप्शन शामिल हैं.

एन्क्रिप्टेड संचार में बैकडोर एक्सेस देने की मांग

फाइव आइज के संयुक्त बयान में कहा कि एन्क्रिप्शन महत्वपूर्ण है और गोपनीयता और साइबर सुरक्षा को संरक्षित किया जाना चाहिए, मगर वैश्विक साइबर सुरक्षा की कीमत पर नहीं. टेक कंपनियों की गोपनीयता और डिवाइस एन्क्रिप्शन, कस्टम एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन व एकीकृत प्लेटफार्मों में एन्क्रिप्शन की वजह से आतंकवाद और अपराध करने वालों को मदद मिल रही है. खुफिया एजेंसियां इनकी गतिविधियों पर नजर नहीं रख पा रही हैं. टेक कंपनियों को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने में खुफिया एजेंसियों की मदद करनी चाहिए. भारत और जापान सहित फाइव आइज ने टेक कंपनियों से एन्क्रिप्टेड संचार में बैकडोर एक्सेस देने की मांग की.

भारत-चीन सैन्य तनाव की पृष्ठभूमि में बैठक महत्वपूर्ण

फाइव आइज ने पिछले दो वर्षों में इसी तरह की मांग कई बार की थी, लेकिन टेक कंपनियों ने गोपनीयता की चिंता को लेकर विरोध का अंदेशा जताकर मांग को अनसुना कर दिया. टेक कंपनियों को एनक्रिप्शन बैकवर्ड से सहमत करने के लिए फाइव आइज का यह नवीनतम प्रयास है. इस मांग में भारत और जापान काे शामिल करना महत्वपूर्ण कदम है. वाट्स एप के दुनिया भर में लगभग 400 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं हैं. भारत में इसके 2.7 बिलियन उपयोगकर्ता हैं और भारत इसके सबसे बड़े उपयोगकर्ता ठिकानों में से एक है. फाइव आइज नेटवर्क के साथ भारत का सक्रिय सहयोग चीन के साथ उसके बढ़ते सैन्य तनाव की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है. दोनों एशियाई दिग्गजों के 1,00,000 से अधिक सैनिक लद्दाख में आमने-सामने हैं.

सीनियर पैसिफिक का हिस्सा है भारत

2008 में भारत ने एक गुप्त बहुपक्षीय जासूसी नेटवर्क का हिस्सा बनने का निमंत्रण स्वीकार किया. इसे SIGINT और सीनियर पैसिफिक (SSPAC) कहा जाता है. इसमें दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, थाईलैंड और फाइव आइज शामिल हैं. SSPAC से भारत से जुड़ी एजेंसियां ​​अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW), राष्ट्रीय तकनीकी टोही संगठन (NTRO) और विमानन अनुसंधान केंद्र (ARC) हैं.

यूएस हाउस सशस्त्र सेवा समिति ने फाइव आइज के विस्तार की थी सिफारिश

23 सितंबर 2020 को यूएस हाउस सशस्त्र सेवा समिति ने अपने फ्यूचर ऑफ डिफेंस टास्क फोर्स रिपोर्ट 2020 में चीन को काउंटर करने के लिए फाइव आइज में भारत और जापान सहित अन्य देशों के साथ घनिष्ठ और मजबूत संबंधों की पुरजोर सिफारिश की थी. जापान ने फाइव आइज नेटवर्क का हिस्सा बनने की उत्सुकता जताई है. दिसंबर 2019 में अमेरिकी कांग्रेसी एडम शिफ (जिन्होंने इंटेलिजेंस पर हाउस परमानेंट सेलेक्ट कमेटी की अध्यक्षता की थी) ने एक रिपोर्ट में भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को शामिल करके फाइव आइज का विस्तार करने की मांग की थी, ताकि एक शक्तिशाली चीन का मुकाबला किया जा सके.

Last Updated : Oct 13, 2020, 9:34 AM IST

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