नई दिल्ली : वैश्विक साइबर सुरक्षा सहयोग और व्यक्तिगत गोपनीयता पर गहरे प्रभाव डालने वाली 'फाइव आइज' की एक महत्वपूर्ण बैठक में भारत और जापान ने हिस्सा लिया. इस दौरान टेक कंपनियों वाट्सएप, गूगल, सिग्नल, टेलीग्राम, फेसबुक मैसेंजर और एन्क्रिप्टेड कम्यूनिकेशन पर चर्चा हुई. 1941 में स्थापित फाइव आइज ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका की जासूसी नेटवर्क का एक विशिष्ट क्लब है. राजनयिक, सुरक्षा, सैन्य और आर्थिक मसलों पर अन्य देशों के भीतर की सूचना को फाइव आइज आपस में साझा करते हैं.
जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका साथ
शनिवार (भारतीय समयानुसार रविवार) को हुई फाइव आइज की बैठक में भारत और जापान के अनाम प्रतिनिधियों (दोनों देशों ने प्रतिनिधियों के नाम गुप्त रखे हैं) के अलावा ब्रिटेन की गृह राज्य मंत्री प्रीति पटेल, अमेरिकी अटॉर्नी-जनरल विलियम पी बरार, ऑस्ट्रेलियाई गृह मंत्री पीटर डटन, न्यूजीलैंड के सुरक्षा और खुफिया मंत्री एंड्रयू लिटिल और कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री बिल ब्लेयर शामिल थे. बैठक के बाद फाइव आइज के संयुक्त बयान में कहा गया है कि टेक कंपनियों के एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन से वैश्विक साइबर सुरक्षा के सामने चुनौतियों उत्पन्न हो रहीं हैं. टेक कंपनियों की प्रतिबद्धता एन्क्रिप्टेड सेवाओं की श्रेणी में लागू होती है. इसमें डिवाइस एन्क्रिप्शन, कस्टम एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन और एकीकृत प्लेटफार्मों में एन्क्रिप्शन शामिल हैं.
एन्क्रिप्टेड संचार में बैकडोर एक्सेस देने की मांग
फाइव आइज के संयुक्त बयान में कहा कि एन्क्रिप्शन महत्वपूर्ण है और गोपनीयता और साइबर सुरक्षा को संरक्षित किया जाना चाहिए, मगर वैश्विक साइबर सुरक्षा की कीमत पर नहीं. टेक कंपनियों की गोपनीयता और डिवाइस एन्क्रिप्शन, कस्टम एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन व एकीकृत प्लेटफार्मों में एन्क्रिप्शन की वजह से आतंकवाद और अपराध करने वालों को मदद मिल रही है. खुफिया एजेंसियां इनकी गतिविधियों पर नजर नहीं रख पा रही हैं. टेक कंपनियों को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने में खुफिया एजेंसियों की मदद करनी चाहिए. भारत और जापान सहित फाइव आइज ने टेक कंपनियों से एन्क्रिप्टेड संचार में बैकडोर एक्सेस देने की मांग की.