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कोरोना टीके को लेकर भारत को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं: विशेषज्ञ

चिकित्सक डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा कि कई देश अपने नागरिकों को कोरोना के टीके को लगवाने की दौड़ में सबसे आगे हैं, ऐसे में भारत को टीके को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. भारत सुरक्षित स्थान पर है. पढ़ें विस्तार से ...

भारत सुरक्षित स्थान पर
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Published : Dec 17, 2020, 11:01 PM IST

नई दिल्ली: मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की निदेशक प्रोफेसर और प्रमुख सामुदायिक चिकित्सक डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा कि कई देश कोरोना टीके को लेने की दौड़ में शामिल हैं. कई उच्च और मध्य-आय वाले देशों ने पहले अपनी आबादी को कवर करने के लिए वैक्सीन की खुराक हासिल करने को प्राथमिकता दी है. ऐसे में भारत एक सुरक्षित स्थिति में है, जहां कोविड वैक्सीन टीके की कमी नहीं होगी.

डॉ. गर्ग ने कहा कि कई विकासशील देशों को फाइजर वैक्सीन मिल गई है और उनमें से कुछ को चीनी वैक्सीन की सुविधा मिल गई है. इसी दौरान भारत के कई कोविड-19 वैक्सीन उम्मीदवार एडवांस स्टेज में हैं. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशिल्ड वैक्सीन को बहुत जल्द ही आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी प्राप्त होने की संभावना है. उनका टीका पहले ही विदेश में ट्रायल में पास हो चुका है.

भारत सुरक्षित स्थान पर .

भारत बायोटेक की कोवैक्सिन भी तीसरे स्टेज में है. इसका पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में सफल परिणाम दिखा. डॉ. गर्ग ने कहा कि भारत बायोटेक की वैक्सीन के परिणाम इम्यून प्रतिरक्षा को दर्शाते हैं और यह वैक्सीन आईसीएमआर द्वारा समर्थित है.

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डॉ. गर्ग ने कहा कि फिर हमारे पास जायडस कैडिला से वैक्सीन उम्मीदवार हैं. जहां तक टीकाकरण का संबंध है, हमारा देश अन्य देशों की आवश्यकता को भी पूरा कर रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि कोविड 19 वैक्सीन भारत के लिए कोई समस्या नहीं है. यहां कई शहरों में लोगों ने हार्ड इम्यूनिटी हासिल कर ली है. मुंबई और यहां तक कि दिल्ली जैसे शहरों में भी लोगों के अंदर कड़ी प्रतिरक्षा पाई गई है. भारत इस महामारी से बहुत अच्छी तरह निपट रहा है.

'द बीएमजे' में बुधवार को प्रकाशित अध्ययन में यह बताया गया है और सचेत किया गया है कि टीका वितरित करना, उसे विकसित करने जितना ही चुनौतीपूर्ण होगा.

इसी पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में अनुमान जताया गया हो कि दुनियाभर में 3.7 अरब वयस्क कोविड-19 का टीका लगवाना चाहते हैं, जो खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में मांग के अनुरूप आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निष्पक्ष और न्यायसंगत रणनीतियां बनाने की महत्ता को रेखांकित करता है.

ये अध्ययन दर्शाते हैं कि वैश्विक कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की संचालनात्मक चुनौतियां टीका विकसित करने से जुड़ी वैज्ञानिक चुनौतियों जितनी ही मुश्किल होंगी.

अमेरिका में 'जॉन्स हॉप्किन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ' के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, 'यह अध्ययन बताता है कि अधिक आय वाले देशों ने किस प्रकार कोविड-19 टीकों की भविष्य में आपूर्ति सुनिश्चित कर ली है, लेकिन शेष दुनिया में इनकी पहुंच अनिश्चित है.'

उन्होंने कहा कि टीकों की आधी से अधिक खुराक (51 प्रतिशत) अधिक आय वाले देशों को मिलेंगी, जो दुनिया की आबादी का 14 प्रतिशत हैं और बाकी बची खुराक कम एवं मध्यम आय वाले देशों को मिलेंगी, जबकि वे दुनिया की जनसंख्या का 85 प्रतिशत से अधिक हैं.

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी को 2022 तक कोविड-19 का टीका संभवत: नहीं मिल पाएगा और यदि सभी टीका निर्माता अधिकतम निर्माण क्षमता तक पहुंचने में सफल हो जाए, तो भी 2022 तक दुनिया के कम से कम पांचवें हिस्से तक टीका नहीं पहुंच पाएगा.

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