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कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में कैसी है भारत की तैयारी

भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 5,000 के पार हो गई है. यह महामारी पूरी दुनिया में फैली हुई है. इस वायरस से संक्रमितों के इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मी भी अपनी जान को जोखिम में डालते हैं. यह महामारी भारत की चिकित्सा व्यवस्था की परीक्षा ले रही है और शायद ही ऐसा कोई देश होगा जो इसे पास कर पाएगा. भारत ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं. वह इससे लड़ने के लिए पार्याप्त होंगे या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा.

INDIA HEALTH CARE PRIORITIES
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Published : Apr 9, 2020, 4:26 PM IST

हैदराबाद : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. भारत ही नहीं पूरी दुनिया इससे जूझ रही है. यह वायरस तेजी से फैलता जा रहा है. इसके प्रसार को रोकने के लिए देश में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है. सभी इसका इलाज खोजने में लगे हैं.

कुछ देश ऐसे हैं, जो इसका इलाज तो नहीं खोज पाए हैं, पर इसके प्रसार पर काबू पाने में सफल रहे हैं. इसके पीछे का विज्ञान बेहद साधारण है. ऐसे देशों ने व्यपाक स्तर पर अपने नागरिकों की टेस्टिंग की है. चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े कई लोगों को लगता है कि भारत को इसी तरह से टेस्ट करना चाहिए.

कहां कितनी टेस्टिंग हुई

इसके लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को 7,00,000 टेस्टिंग किट की जरूरत है. उत्तर कोरिया की जनसंख्या तकरीबन पांच करोड़ है और उस देश ने दो लाख (200,000) से ज्यादा टेस्ट किए हैं. भारत की जनसंख्या लगभग 133 करोड़ है और आठ अप्रैल तक भारत में 1,21,271 टेस्ट किए गए हैं. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने छह अप्रैल तक 10 लाख आरटी-पीसीआर किट खरीदे हैं. 16 कंपनियों को भारत में कमर्शियल टेस्ट किट बेचने के लिए मंजूरी दे दी गई है.

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी भी संक्रमित हो सकते हैं. उनकी सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट बेहद महत्वपूर्ण है. इस किट में मास्क, आंखों को ढकने के लिए शिल्ड, जूतों के कवर और गाउन आदि होता है.

देश में पीपीई को लेकर कौन से कदम उठाए गए

  • कुल 2.94 लाख व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट कवरवॉल का इंतजाम किया गया है और राज्यों को दिए गए हैं.
  • भारत को 1.70 पीपीई किट चीन से दान के रूप में प्राप्त हुए हैं.
  • देश में पहल से 3,87,473 पीपीई किट मौजूद थे. इसके अलावा 20,000 पीपीई किट की घरेलू आपूर्ति के साथ कुल 1.90 पीपीई किट देशभर के अस्पतालों को दिए जाएंगे.
  • सरकार ने 20 लाख पीपीई किट का ऑर्डर दिया है.
  • पीपीई के उत्पादन के लिए 15 घरेलू कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है.

और कितने पीपीई किट की जरूरत

  • इनवेस्ट इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबित कोविड-19 से लड़ने के लिए भारत को 60 लाख से ज्यादा पीपीई किट की जरूरत है.
  • एक पीपीई किट का इस्तेमाल एक ही बार किया जा सकता है. जाहिर है इस महामारी के दौरान इसकी खपत बढ़ गई है.
  • भारत में पीपीई का भंडार होना अतिआवश्यक है.

कोविड-19 के गंभीर मरीजों के देखभाल के लिए वेंटिलेटर अतिआवश्यक है. सांस से संबंधित रोगों के लिए वेंटिलेटर प्रमुख उपकरण होता है. भारत के पास 40,000 वेंटिलेटर हैं. अमेरिका के पास 160,000 वेंटिलेटर हैं और वहां पर इसकी कमी हो रही है. डॉक्टरों का मानना है के हर समय एक लाख वेंटिलेटर को स्टॉक में रखा जाना चाहिए.

देश में वेंटिलेटर को लेकर कौन से कदम उठाए गए

  • सरकार ने 50,000 वेंटिलेटरों का ऑर्डर दिया है.
  • मई तक 50,000 और वेंटिलेटर उपलब्ध हो जाएंगे.
  • वेंटिलेटर कंपनियां और ऑटो कंपनियां इसका उत्पादन करेंगी.

वेंटिलेटर की तरह मरीजों के इलाज में आईसीयू बेड भी अहम भूमिका निभाते हैं. डॉक्टरों का मानना है कि मृत्यु दर आईसीयू बेड से विपरीत रूप से जुड़ी हुई है. ज्यादा बेड मतलब कम मौतें.

देश में केवल 10,000 आईसीयू बेड हैं. प्रति दस लाख लोगों में अगर एक व्यक्ति को भी आईसीयू बेड की जरूरत पड़ गई तो भारत में आईसीयू बेड कम पड़ जाएंगे.

जर्मनी में मृत्यु दर 0.3% है, वहां प्रति एक लाख नागरिकों पर 29 आईसीयू बेड हैं. भारत में प्रति एक लाख नागरिकों पर 2.3 आईसीयू बेड हैं.

देश में आईसीयू बेड को लेकर कौन से कदम उठाए गए

  • राज्य जिला अस्पतालों को आईसीयू में परिवर्तित कर रहे हैं.
  • देश में कितने आईसीयू बेड बनाए गए हैं इसका कोई आकड़ा नहीं है.

आईसीयू बेड, वेंटिलेटर, पीपीई और टेस्ट किट से भी ज्यादा जरूरी स्वास्थ्य कर्मचारी हैं. अमेरिका की एक संस्था (Centre for Disease Dynamics ,Economics and Policy ) द्वारा 2019 में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 600,000 डॉक्टरों और 20 लाख नर्सों की कमी है.

कई पश्चिमी देश विदेशी डॉक्टरों को कोविड -19 के मरीजों का इलाज करने की अनुमति दे रहे हैं.

सबसे पहले तो भारत को पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत है. उसके बाद कोविड -19 के मरीजों का इलाज करने से पहले उनको सुरक्षा और उपचार प्रोटोकॉल में प्रशिक्षण की जरूरत होगी.

देश में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी को लेकर कौन से कदम उठाए गए

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अंतिम वर्ष के मेडिकल छात्रों और सेवानिवृत्त चिकित्सा कर्मचारियों को कोविड-19 केंद्रों में कार्य करने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. यह तभी होगा जब आवश्यक्ता होगी.

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