नई दिल्लीः जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच भी बैठक हुई. इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई.दोनों नेताओं ने ईरान, 5जी, द्विपक्षीय रिश्तों और रक्षा संबंधों पर चर्चा की. इस पर पूर्व राजनयिक अनिल त्रिगुणायत ने कहा है कि भारत ने अमेरिका को स्पष्ट संकेत दिए हैं.
गौरतलब है कि ट्रंप और मोदी के बीच द्विपक्षीय व्यापर सहित विभिन्न मुद्दों पर 'खुले माहौल में और सार्थक' बातचीत की. इस दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद जैसी प्रमुख वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए विश्व को 'मजबूत नेतृत्व' प्रदान करने का संकल्प जताया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अमेरिका के साथ आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत बनाने को लेकर भारत प्रतिबद्ध है.
मोदी ने बैठक के बाद ट्वीट किया, 'राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ व्यापक मुद्दों पर चर्चा हुई. हमने प्रौद्योगिकी की शक्ति के इस्तेमाल के उपायों, रक्षा और सुरक्षा संबंधों को बेहतर बनाने के साथ-साथ व्यापार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.'
पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाकात पर पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि भारत ने अमेरिका को अपनी स्थिति साफ तौर पर बता दी है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान त्रिगुणायत ने कहा कि दोनों देशों के मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बैठक का फैसला व्यापार से संबंधित मुद्दों को हल करने का एक सकारात्मक संकेत है.
पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा, यह ईरान से तेल आयात करने का ही सवाल नहीं है. यह संघर्ष की स्थिति आने पर हमारी सुरक्षा और साथ ही वहां रहने वाले 80 लाख प्रवासियों को काफी हद तक प्रभावित करेगा.
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उन्होंने मोदी सरकार के S-400 सौदे पर भी बात करते हुए कहा, 'भारत ने ट्रम्प प्रशासन को भी स्पष्ट संदेश दिया कि वह रूस के साथ अपने S-400 सौदे को रद्द नहीं कर सकता क्योंकि यह हमारा रणनीतिक साझेदार है और भारत दूसरे देश के साथ संबंधों के चलते अपने रिश्ते कमजोर नहीं कर सकता.
गौरतलब है कि चीनी तकनीक की दिग्गज कंपनी हुआवेई की 5-जी तकनीक के उपयोग पर, जो दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बन गई है, अनिल त्रिगुणायत ने जोर देकर कहा, 'हुआवेई भारत में काफी हद तक मौजूद है और मेरी समझ के अनुसार उनके पास अमेरिकन कंपनियों पर लीड भी है.
ट्रंप और मोदी के बीच क्या बातें हुई
इससे पहले भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने संवाददाताओं को बताया कि दोनों नेताओं के बीच बहुत सार्थक एवं विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई. उन्होंने कहा, 'दोनों नेताओं के बीच अच्छी बातचीत हुई. राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी को (चुनावी) जीत पर बधाई दी. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प द्वारा विदेश मंत्री (माइक) पोम्पिओ के जरिए उन्हें भेजे गए गर्मजोशी भरे पत्र का अमेरिकी राष्ट्रपति से खास तौर पर उल्लेख किया.'
ईरान से कम किया तेल आयात
विदेश सचिव गोखले के मुताबिक ईरान के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी ऊर्जा संबंधी चिंताओं और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता से जुड़ी आशंकाओं को रेखांकित किया. उन्होंने इशारा किया कि भारत की कुल ऊर्जा जरूरत में ईरान 11 प्रतिशत की आपूर्ति करता हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने के बावजूद उसने ईरान से तेल के आयात में कमी की है.
भारतीय पोतों की सुरक्षा
बकौल गोखले प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प से कहा, 'इस क्षेत्र में भी हमारे समुदाय के लोग हैं, इस क्षेत्र में भी ऊर्जा की जरूरत है, क्षेत्र में हमारे आर्थिक हित हैं, इसलिए भारत क्षेत्र में मुख्य रूप से शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के पक्ष में है.' गोखले के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा कि खाड़ी से गुजरने वाले भारतीय पोतों की सुरक्षा के लिए भारत ने क्षेत्र में कुछ नौसैन्य जहाजों की तैनाती की है.
तेल की कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद
उन्होंने कहा, 'ट्रम्प ने इस बात की बहुत अधिक सराहना की. संक्षिप्त बातचीत के दौरान राष्ट्रपति ने उम्मीद जतायी कि तेल की कीमतें स्थिर रहेंगी. उन्होंने (ट्रम्प) तेल की कीमतों को स्थिर रखने के लिए खाड़ी देशों में स्थिरता को सुनिश्चत करने के लिए अमेरिका द्वारा उठाये जा रहे कदमों की चर्चा की.'
गोखले के मुताबिक दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि वे ईरान के मुद्दे एवं क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को सुनिश्चित रखने के लिए एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे.
व्हाइट हाउस ने भी जारी किया बयान
इसके अलावा ट्रम्प-मोदी बैठक को लेकर व्हाइट हाउस की ओर से भी बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी को लेकर हुई प्रगति और इसे अगले स्तर पर ले जाने को लेकर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया.