नई दिल्ली : भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर तनातनी की घटनाओं के कुछ ही दिन बाद भारत ने गुरुवार को कहा कि वह चीन के साथ लगने वाली सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने को प्रतिबद्ध है तथा सीमा को लेकर साझा समझ होने पर ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता था.
बता दें कि पांच मई को भारत और चीन के करीब 250 सैनिकों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जब पूर्वी लद्दाख के पागोंग तासो झील के पास दोनों पक्षों के बीच लोहे की छड़, डंडों के साथ संघर्ष तथा पथराव हुआ. इसके चार दिन बाद उत्तरी सिक्किम के नाथुला दर्रे के पास ऐसी ही घटना देखने को मिली थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और चीन दोनों देशों की सीमा से लगे क्षेत्रों में शांति बनाए रखने को अत्यधिक महत्व देते हैं और इसकी पुष्टि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच दो अनौपचारिक शिखर बैठकों में भी हुई है.
उन्होंने कहा, 'इसके परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा पर शांति रही है, हालांकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर अलग अलग समझ के कारण कभी-कभी संघर्ष के हालात पैदा हो जाते हैं. इनसे बचा जा सकता था, अगर दोनों पक्षों के बीच सीमा को लेकर समान समझ होती.' श्रीवास्तव ने कहा कि अगर कुछ स्थितियां पैदा हो जाती हैं तो उनसे निपटने के लिए तंत्र विकसित किया गया हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय पक्ष भारत-चीन सीमा पर शांति और स्थिरता बनाये रखने के लिये प्रतिबद्ध है.
वहीं, ताजा घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना चीन से लगी सीमा पर अपने रूख पर कायम है और इस क्षेत्र में आधारभूत ढांचा के विकास का कार्य भी सही दिशा में चल रहा है.
उन्होंने कहा, 'पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम की दो घटनाएं दोनों पक्षों के आक्रामक व्यवहार का परिणाम हैं, जिसके कारण चौकी पर तैनात सैनिकों को मामूली चोटें भी लगी. दोनों पक्षों ने स्थानीय स्तर पर बातचीत के जरिये इससे सुलझा लिया.'