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एलएसी पर झड़प में चीनी कमांडर समेत 35 सैनिक ढेर

45 साल बाद भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़प हुई है. 20 भारतीय जवान शहीद हुए हैं. इनकी संख्या बढ़ सकती है. सूत्रों के अनुसार चीन के 35 सैनिक हताहत हुए हैं. समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों ने पुष्टि की है कि गलवान घाटी में मारे गए लोगों में चीनी यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर भी शामिल हैं. चीनी कमांडर की मौत 15/16 जून की रात हुई हिंसक झड़प में हुई है. एलएसी पर तनाव बरकरार है.

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लद्दाख में एलएसी पर हिंसक झड़प

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Published : Jun 17, 2020, 10:06 AM IST

Updated : Jun 17, 2020, 1:24 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में सोमवार रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए. पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है. बुधवार को समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों ने पुष्टि की है कि गलवान घाटी में मारे गए लोगों में चीनी यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर भी शामिल हैं. चीन के कितने सैनिक मारे गए, अलग-अलग सूत्रों से अलग-अलग जानकारी मिल रही है.

पीटीआई ने अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों के हवाले से कहा है कि गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान चीनी पक्ष के 35 जवान हताहत हुए हैं.

एएनआई ने सूत्रों के हवाले से 40 चीनी सैनिकों के हताहत होने की खबर दी है.

लद्दाख में तनाव की जानकारी देते ईटीवी भारत के संवाददाता

सेना ने देर शाम बयान में कहा कि हमारे 17 सैनिक, जो अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने दम तोड़ दिया है. इससे शहीद हुए सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है. भारत के चार सैनिक अभी गंभीर हैं. सरकारी सूत्रों ने कहा है कि चीनी पक्ष के सैनिक भी उसी अनुपात में हताहत हुए हैं.

हालांकि, दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर वार्ता जारी है. अमेरिकन मीडिया ने दावा किया है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को उकसाया, इसके बाद हिंसा भड़क गई. भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा है कि एलएसी पर गोलीबारी नहीं हुई है. हमले में पत्थरों और रोड का इस्तेमाल किया गया था.

लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प के कुछ प्रमुख बिंदु

वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे. इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है.

सेना के एक बयान में कहा गया कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान क्षेत्र में जिस स्थान पर 15/16 जून की रात झड़प हुई, वहां से दोनों तरफ के सैनिक हट गए हैं.

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इसमें यह नहीं बताया गया है कि सैन्यकर्मी किस प्रकार हताहत हुए हैं और दोनों पक्षों के बीच किसी तरह के गोलाबारी का भी उल्लेख नहीं किया गया है. भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया और अधिकतर जवान चीनी पक्ष द्वारा किए गए पथराव और लोहे की छड़ों के इस्तेमाल के कारण घायल हुए.

इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समग्र समीक्षा की गई.

यह समझा जा रहा है कि भारत ने 3500 किलोमीटर की सीमा पर चीन के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए दृढ़ रुख जारी रखने का फैसला किया है.

सैन्य सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीनी वायु सेना की बड़ी गतिविधियां देखी गई है. दोनों देशों की सेनाओं ने झड़प के स्थान पर मेजर जनरल स्तरीय वार्ता की है.

चीन ने समझौते को तोड़ा : विदेश मंत्रालय

भारत ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के चीनी पक्ष के प्रयास’ के कारण हुई. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पूर्व में शीर्ष स्तर पर जो सहमति बनी थी, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से उसका पालन किया होता, तो दोनों पक्षों को हुए नुकसान से बचा जा सकता था.

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत और चीन सैन्य और राजनयिक संवाद के जरिए पूर्वी लद्दाख में सीमाई क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए चर्चा कर रहे हैं तथा वरिष्ठ कमांडरों के बीच छह जून को सार्थक बातचीत हुई थी. मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष तनाव दूर करने की प्रक्रिया को लेकर सहमत हुए थे.

यह भी पढ़ें: यथास्थिति बदलने के चीन के प्रयास के कारण लद्दाख में हिंसक झड़प हुई : विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसके बाद उच्च स्तर पर बनी सहमति के आधार पर फैसले को लागू करने के लिए समूह कमांडरों ने सिलसिलेवार बैठकें की. हमें आशा थी कि यह सुगम तरीके से होगा, लेकिन चीनी पक्ष गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा के संबंध में बनी सहमति से अलग चले गए.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि सीमा प्रबंधन पर जिम्मेदाराना दृष्टिकोण जाहिर करते हुए भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि हमारी सारी गतिविधियां हमेशा एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के भारतीय हिस्से की तरफ हुई हैं. हम चीन से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं.’

चीन ने उलटे भारत को ही ठहराया जिम्मेवार

चीन की सरकारी मीडिया ने मंगलवार को चीनी सेना के हवाले से दावा किया कि गलवान घाटी क्षेत्र पर उसकी हमेशा संप्रभुता रही है और आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने जानबूझकर उकसाने वाले हमले किए, जिस कारण गंभीर संघर्ष हुआ और सैनिक हताहत हुए.

अमेरिका ने कहा, हमारी नजर बनी हुई है

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, 'वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच हालात पर हम करीब से नजर रख रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'भारतीय सेना ने कहा है कि उसके 20 सैनिक मारे गए हैं, हम उनके परिजन के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं.' प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही देशों ने तनाव कम करने की इच्छा जताई है और अमेरिका वर्तमान हालात के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है.

Last Updated : Jun 17, 2020, 1:24 PM IST

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