अहमदाबाद :गुजरात के अलंग बंदरगाह पर आज आईएनएस विराट की शिप ब्रेकिंग की गई. एक संक्षिप्त समारोह में केंद्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मांडविया समेत कई अन्य लोग मौजूद रहे. सोमवार दोपहर करीब 12.30 बजे ज्वार शुरू होने के बाद आईएनएस विराट को भारत ने अलविदा कह दिया. इस कार्यक्रम में भूपेंद्र सिंह चूडास्मा भी मौजूद रहे. अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाले यार्ड में देश का सबसे बड़ा यार्ड है, यहां सभी पुराने जहाजों को तोड़ा जाता है.
पोत परिवहन मंत्री मनसुख मंडाविया ने यहां इस युद्धपोत को विदाई देने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'इस ऐतिहासिक युद्धपोत ने 11 लाख किलोमीटर की यात्रा की है. यह पृथ्वी के 27 चक्कर लगाने के बराबर है.
उन्होंने कहा, 'आज मैं अलंग में आईएनएस विराट को सम्मान के साथ विदाई दे रहा हूं. आईएनएस विराट ने हमारे देश को 30 साल तक शानदार तरीके से सेवा दी है. आज यह युद्धपोत अलंग में रिसाइक्लिंग के लिए अपनी अंतिम यात्रा पर निकल रहा है.'
नौसेना के इस गौरव ने पांच नौसनाध्यक्षों सहित 40 ध्वज अधिकारियों को अपनी सेवाओं के जरिये तैयार किया है.
मंत्री ने बताया कि कोचीन शिपयार्ड एक और विशाल युद्धपोत बना रहा है. उन्होंने कहा कि आईएनएस विराट को संग्रहालय में बदलने के लिए प्रयास किए गए, लेकिन हम इस योजना को अमलीजामा नहीं पहना सके. 'एक विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था यह एक दशक से अधिक नहीं टिक सकता.'
मंडाविया ने कहा, 'सरकार आईएनएस विराट को संग्रहालय में बदलने के लिए 400 से 500 करोड़ रुपये तक खर्च करने को तैयार थी, लेकिन विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट अनुकूल नहीं थी. इस वजह से हम इसे आंसुओं के साथ विदाई दे रहे हैं. 'मंडाविया ने कहा कि हर साल वैश्विक स्तर पर करीब 30 प्रतिशत या 280 जहाजों को रिसाइकिल किया जाता है.'
उन्होंने कहा, 'अलंग ओड़िशा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, गुजरात और अन्य राज्यों के करीब 30,000 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है. इसके अलावा यह अन्य कारोबारी गतिविधियों के जरिये 3.5 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष तरीके से समर्थन देता है.'
आईएनएस विराट को 1959 में ब्रिटिश नौसेना में शामिल किया गया था. तब इसका नाम एचएमएस हर्मिस था. 1984 में इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया. बाद में इसे भारत को बेचा गया। भारतीय नौसेना में इसे 12 मई, 1987 में शामिल किया गया.