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सार्क समिट में विदेश मंत्री जयशंकर ने उठाया सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय संगठन (सार्क देश) की आज वर्चुअल बैठक हुई. भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिस्सा लिया. इस दौरान विदेश मंत्री ने सीमा पर आतंकवाद का मुद्दा उठाया. उन्होंने नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया.

सार्क देशों की हुई बैठक
सार्क देशों की हुई बैठक

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Published : Sep 24, 2020, 6:02 PM IST

नई दिल्ली : दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय संगठन (सार्क) देशों की बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिस्सा लिया. इस दौरान विदेश मंत्री ने सीमा पर आतंकवाद का मुद्दा उठाया. इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी हिस्सा लिया.

सार्क देशों (दक्षेस) की बैठक के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट कर लिखा, आज सार्क विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक को संबोधित किया. नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और एक जुड़े, एकीकृत, सुरक्षित और समृद्ध दक्षिण एशिया के निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की.

सार्क देशों की बैठक के संबंध में विदेश मंत्री के ट्वीट

जयशंकर ने कहा, सीमा पार से आतंकवाद, संपर्क को रोकना और व्यापार में बाधा तीन प्रमुख चुनौतियां हैं, जिन्हें दक्षेस देशों को मिलकर दूर करना होगा. उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर ही हम दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएंगे. जयशंकर ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र की प्रगति की पहचाने की जरूरत है. इसके अलावा राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (National Knowledge Network) के विस्तार करने की जरूरत है.

सार्क देशों की बैठक के संबंध में विदेश मंत्री के ट्वीट

बता दें कि जयशंकर ने गुरुवार दोपहर को सार्क मंत्रिपरिषद की वर्चुअल बैठक में भाग लिया. बैठक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के विदेश मंत्री भी शामिल हुए.

उल्लेखनीय है कि क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दे पर विदेश मंत्री जयशंकर इससे पहले कह चुके हैं कि भारत, दक्षिण एशियाई देशों में समृद्धि बढ़ाने के लिए सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक और रचनात्मक चर्चा के लिए तत्पर है.

बीते 15 मार्च को सार्क नेताओं का एक वीडियो सम्मेलन आयोजित हुआ था. इसमें भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आपातकालीन निधि बनाने का प्रस्ताव पेश किया था. भारत ने इस फंड के लिए 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रस्ताव दिया था.

गौरतलब है कि पाकिस्तान को 2016 में शिखर सम्मेलन की मेजबानी करनी थी, लेकिन भारत ने उरी हमले के बाद बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया. पाकिस्तान पर राजनयिक दबाव बढ़ाने के लिए भारत की तरह बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान सहित अन्य देशों ने भी शिखर सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया था.

भारत ने पाक से कई मौकों पर दो टूक कहा है कि आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते. पाक को आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए. बता दें कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा जम्मू और कश्मीर के उरी में एक सैन्य अड्डे पर हमला किया गया था. इस हमले में 19 सैनिक शहीद हो गए थे. इस नृशंस हमले के बाद से भारत-पाक के रिश्ते लगातार तल्ख हैं.

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