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भारतीय नेताओं की जासूसी कराने के आरोप पर चीन ने दी सफाई

भारतीय नेताओं की जासूसी का मुद्दा गरमाता जा रहा है. भारत ने इस बाबत चीन से जवाब मांगा है. चीन का कहना है कि जिस कंपनी पर जासूसी करने का आरोप लगाया गया है, वह एक निजी कंपनी है. इसका चीन सरकार से कोई लेना-देना नहीं है.

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भारत ने चीन से मांगा जवाब

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Published : Sep 17, 2020, 7:11 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 7:17 AM IST

नई दिल्ली : चीन की कंपनियों द्वारा भारत के कुछ नेताओं की जासूसी करने की खबरों के बीच सरकार ने इस मुद्दे को चीन के राजदूत के समक्ष उठाया. यह जानकारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल को एक पत्र लिखकर दी है.

पत्र में कहा गया है कि इस मामले को चीन के विदेश मंत्रालय के समक्ष भी उठाया गया है. मंत्री ने वेणुगोपाल को बताया, 'इस मामले को विदेश मंत्रालय ने चीन के राजदूत के समक्ष उठाया. बीजिग में हमारे दूतावास ने इसे चीन के विदेश मंत्रालय के समक्ष भी उठाया. चीनी पक्ष ने कहा कि शेनजेन जेन्हुआ एक निजी कंपनी है.'

उन्होंने कहा, 'चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि संबंधित कंपनी और चीन सरकार के बीच कोई संबंध नहीं है.'

जयशंकर का यह बयान वेणुगोपाल द्वारा इस मामले को राज्यसभा में बुधवार को शून्यकाल के दौरान उठाने के बाद आया है.

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जयशंकर ने पत्र में बताया कि शेनजेन जेन्हुआ के एक प्रतिनिधि ने कहा कि डेटा मुक्त स्रोत (ओपन सोर्सेज) से लिए गए हैं.

मंत्री ने कहा कि कंपनी ने गोपनीय सूत्रों से निजी जानकारियां हासिल किए जाने की बात से इनकार किया है.

जांच के लिए कमेटी गठित

सूत्रों के मुताबिक, नेशनल साइबर सिक्योरिटी को-ऑर्डिनेटर के तहत एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है. कमेटी से 30 दिनों में रिपोर्ट मांगी गई है. इसके अंतर्गत जेनहुआ डेटा लीक मामले में सरकार ने इन रिपोर्टों का अध्ययन करने, उनका मूल्यांकन करने, कानून के किसी भी उल्लंघन का आकलन करने के लिए कमेटी बनाई है.

बता दें, सरकार ने उस रिपोर्ट पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जिसमें कहा गया है कि विदेशी सोर्स सहमति के बिना देश के नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच रही है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 7:17 AM IST

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