नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र में भारत और पाकिस्तान फिर से आमने-सामने होंगे. शुक्रवार को भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान की ओर से इमरान खान अपना-अपना पक्ष रखेंगे.
आइए एक नजर डालते हैं कि पिछले पांच सालों में संयुक्त राष्ट्र आम सभा में दोनों देशों ने किस तरीके से अपना-अपना पक्ष रखा है.
2014- पाक पीएम नवाज शरीफ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
नवाज शरीफ ने कहा कि कश्मीरी आवाम की कई पीढ़ियां कब्जे में रही हैं. उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता रहा है. जम्मू-कश्मीर का मूल मसला हल होना चाहिए.
शरीफ ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जवाबदेही है. हम कश्मीर पर पर्दा नहीं डाल सकते हैं.
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मैं पाकिस्तान से मित्रता और सहयोग बढ़ाने के लिए शांतिपूर्ण वातावरण में द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयार हूं. लेकिन पाकिस्तान का भी ये कर्तव्य है कि वह भी शांतिपूर्ण तरीके से द्विपक्षीय वार्ता के लिए सामने आए.
2015- पाक पीएम नवाज शरीफ और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
नवाज शरीफ ने कहा कि कश्मीरी आवाम की तीन पीढ़ियों ने वादों को टूटते देखा है. उन्हें ज्यादती का सामना करना पड़ा है. 10 हजार से ज्यादा मारे गए हैं.
उन्होंने कहा कि यहां पर संयुक्त राष्ट्र लगातार विफल रहा है. मैं भारत के साथ चार सूत्री शांति का प्रस्ताव रखता हूं.
वहीं सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि पाकिस्तान भारत के कश्मीर के कुछ हिस्सों पर अपने अवैध कब्जे को वैध बनाने के लिए हमले करता है.
2016- नवाज शरीफ, पाक पीएम और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
पाक पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि उभरते हुए कश्मीरी नेता बुरहान वानी की भारतीय सैनिकों ने हत्या कर दी. वह कश्मीरी इंतेफादा का एक प्रमुख चेहरा था.
उन्होंने कहा कि मैं आम सभा को बताना चाहता हूं कि पाकिस्तान महासचिव से कुछ दस्तावेज साझा करना चाहता है.
शरीफ ने कहा कि इसमें मानवाधिकार उल्लंघन का सबूत है कि कैसे जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना ने कार्रवाई की.