नई दिल्ली : जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल दो दिवसीय दौरे पर भारत आई हैं. इस दोनों देशों के बीच रक्षा, कृत्रिम मेधा और ऊर्जा सुरक्षा समेत रणनीतिक क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय बातचीत हुई. इसके बाद दोनों ने देशों ने संयुक्त रूप से कहा कि वे आतंकवाद से निबटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाएंगे.
जर्मन सूत्रों ने बताया कि मर्केल ने अंतर सरकारी विचार-विमर्श के बाद और मोदी के साथ 'विशेष बैठक' से पूर्व जर्मन मीडिया से कहा कि कश्मीर में मौजूदा स्थिति 'स्थायी एवं अच्छी नहीं' है तथा 'निश्चित ही इसे बदलने की आवश्यकता है.'
हालांकि, आईजीसी के दौरान कश्मीर की स्थिति पर चर्चा नहीं की गई और सूत्रों के अनुसार, मर्केल को 'विशेष बैठक' के दौरान जम्मू-कश्मीर पर मोदी की योजनाओं से अवगत होने का मौका मिल सकता है. मोदी ने मर्केल के सम्मान में रात्रिभोज का भी आयोजन किया.
इस बात की तत्काल कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि दोनों नेताओं की विशेष बैठक में कश्मीर मामले पर बातचीत हुई या नहीं.
यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका समेत कुछ विदेशी सांसदों ने अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के लिए अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद सरकार द्वारा लगायी पाबंदियों पर चिंता जताई है.
इससे पहले, दिन में भारत और जर्मनी के बीच अंतरिक्ष, नागर विमानन, समुद्री प्रौद्योगिकी, स्मार्ट सिटी, आयुर्वेद और शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में 17 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.
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दोनों देशों के बीच पांच संयुक्त आशय पत्र साझा किये गये. संयुक्त आशय पत्रों में सामरिक परियोजनाओं पर सहयोग, शहर में हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए भागीदारी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर अनुसंधान और विकास तथा समुद्र में कचरे को रोकने में सहयोग शामिल हैं.
मोदी और मर्केल ने शुकवार को पांचवें भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विमर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता की. दोनों नेताओं ने अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान को संदेश देते हुए सभी देशों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि उनकी सरजमीं का इस्तेमाल अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में न किया जाए.
मोदी ने मर्केल के साथ संयुक्त मीडिया सम्मेलन में एक बयान में कहा, 'हम आतंकवाद और चरमपंथ जैसे खतरों से निबटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग मजबूत करेंगे.'
मोदी और मर्केल की वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया गया और 'वैश्विक समस्या' से निबटने में मजबूत अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का आह्वान किया गया.
इसमें सभी देशों से आतंकवादियों की पनाहगाह और बुनियादी ढांचा खत्म करने, आतंकवादी नेटवर्कों तथा वित्त पोषण को तोड़ने तथा आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों को रोकने का आह्वान किया गया है.