नई दिल्ली : भारत एक शीर्ष-गुप्त रूसी योजना में प्रमुखता से शामिल हो गया है, जिसे 13 नवंबर को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा अनुमोदित किया गया था. इसमें योजना में विचार किया गया है कि 2015 - 2021 की अवधि में रूस बाहरी और आंतरिक चुनौतियों का सामना कैसे करेगा. योजना 1 जनवरी, 2021 से सक्रिय होगी.
रूसी रक्षा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक परिषद के एक सदस्य ने रूसी दैनिक 'कोम्सोमोल्स्काया प्रावदा' में लिखा है कि इससे के चीन के साथ भारत की बढ़ती समस्याओं को हल करने और रूस को मध्यस्थता का अवसर मिल सकता है, जो उसके पांच प्रमुख उद्देश्यों में से एक है. रूस 2021-25 के लिए खुद को तैयार कर चुका है.
रूसी सैन्य पर्यवेक्षक, विक्टर बैरनेट्स के लेख में कहा गया है कि रूस की योजना है कि देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि को बढ़ावा देने के लिए यूरेशिया (चीनी-भारतीय और भारतीय-पाकिस्तानी संघर्ष) में एक पीस ब्रोकर के रूप में अपनी भूमिका को बढ़ाएगा, ताकि देश की छवि और प्रतिष्ठा बढ़ सके.
इसी तरह से रूसी सरकार ने द्वारा 24 अप्रैल 1996 में ड्यूमा में फेडरल लॉ ऑन डिफेंस पारित किया गया था. ऐसी योजनाओं में कंटेट का वर्गीकरण उच्चतम स्तर होता है और राज्य रहस्य बने रहते हैं.
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सैन्य गतिरोध के बीच यह योजना स्पष्ट रूप से रूस की एक चाल है. हालांकि भारत-चीन सीमा सैन्य संकट अप्रैल-मई में शुरू हुआ और रूसी चालें 24 जून से उस समय शुरू हुईं जब भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को विक्ट्री परेड के दौरान मॉस्को में प्रतिष्ठित रेड स्क्वायर में चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगहे से दूर नहीं बैठाया गया था और रूसी रक्षा मंत्री, सर्गेई शोइगू पास बैठे हुए थे.