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लद्दाख-सिक्किम में भारतीय व चीनी सेना के बीच टकराव, दोनों देश खामोश क्यों...

चीन ने मंगलवार को लद्दाख और शनिवार को उत्तर सिक्किम में भारतीय सैनिकों के खिलाफ युद्धरत कदम उठाए. बावजूद इसके एशिया के दोनों दिग्गज देशों की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. पढ़ें हमारी खास पेशकश...

incidents of face off between indian and chinese soldiers in ladakh and sikkim
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Published : May 11, 2020, 12:40 AM IST

नई दिल्ली : चीन ने मंगलवार को लद्दाख और शनिवार को उत्तर सिक्किम में भारतीय सैनिकों के खिलाफ युद्धरत कदम उठाए. बावजूद इसके एशिया के दोनों दिग्गज देशों की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.

संभवतः इस समय दुनिया के दो बड़े देशों की सेनाएं भी संघर्ष नहीं कर सकती. चीन पर दुनियाभर से कोरोना को लेकर कई तरह के आरोप लग रहे हैं. लेकिन भारत ने अब तक इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने 1 मई को दिए अपने बयान में कहा कि कोरोना वायरस को जैविक युद्ध का परिणाम कहना उचित नहीं है.

ईटीवी भारत ने शनिवार को बताया था कि उत्तर सिक्किम में 5,000 मीटर की ऊंचाई वाले नकु ला पास (Naku La pass) के पास भारतीय सेना के जवानों और पीएलए के गश्त करने वाले सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई थी. इसमें दोनों ओर के सैनिक घायल हुए थे.

रक्षा सूत्रों ने भी पूर्वी लद्दाख में पैंगॉन्ग त्सा (Pangong Tsa) झील के उत्तर की ओर एक ऐसी ही घटना की पुष्टि की है, जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष में कुछ सैनिक घायल हुए.

एक सैन्य अधिकारी के मुताबिक इसमें दोनों पक्षों के कुल 150 जवान शामिल थे. यह फसाद मंगलवार देर रात शुरू हुआ और बुधवार सुबह तक चला. हालांकि, इसे स्थानीय स्तर पर ही सुलझा लिया गया.

उत्तर सिक्किम और लद्दाख के पास तैनात किए गए एक सेवारत भारतीय सेना के अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि ऐसी घटनाएं असाधारण नहीं हैं. यह समय-समय पर होती रहती हैं. ऐसी घटनाओं के पीछे आमतौर पर दोनों पक्षों का कोई गर्म खून वाला सैनिक होता है.

अधिकारी ने बताया कि यह पूरा क्षेत्र एक ऊंचाई वाला पठार है, जहां कोई स्थाई स्टेशन नहीं है. हमारे सैनिक भी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की तरह यहां गश्त करते हैं. कई बार गश्ती दल एक-दूसरे के पास आ जाते हैं और दोनों टीमें अक्सर बातचीत करती हैं. यहां तक कि सिगरेट और चॉकलेट का आदान-प्रदान भी होता है.

शनिवार की घटना की पुष्टि करते हुए भारतीय सेना की पूर्वी कमान के एक प्रवक्ता ने कहा कि सीमा विवाद के कारण सैनिकों के बीच ऐसे संघर्ष होते रहते हैं. दोनों पक्षों द्वारा आक्रामक व्यवहार के कारण सैनिकों को मामूली चोटें आईं हैं.

गौरतलब है कि जनवरी में भारतीय सेना के उत्तरी और पूर्वी कमांड्स के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने सीमा विवाद को लेकर चीन का दौरा किया था और चीनी सेना के अधिकारियों से बातचीत की थी.

पहले हमारे जवान वाहनों से दूर तक गश्त नहीं लगा सकते थे, लेकिन अब चीन की तरह भारत सरकार भी एलओएसी तक सड़क बनाने की योजना बना रही है, जिसके कारण अब ऐसा संभव हो पा रहा है. सीमा पर हिंसा भड़कने की यह बड़ी वजह है.

हालांकि बॉर्डर पर्सनल मीट में सीमा विवादों पर चर्चा की जाती है. इसके कारण डोकलाम में फेस-ऑफ को रोकने में मदद मिली है.

बता दें कि एलएसी की सीमा विवाद को लेकर आए दिन दोनों पक्षों में झड़प होती रहती है. भारत साल 1914 में बनाई गई मैकमोहन रेखा का पालन करता है. वहीं चीन मैकमोहन रेखा को औपचारिक रूप से स्वीकार करने से इंकार करता आया है.

चीन अरुणाचल प्रदेश के 65,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अपना दावा करता है, इसे वह 'दक्षिणी तिब्बत' कहता है.

चीन के साथ भारत की पांच राज्यों अरुणाचल प्रदेश (1,126 किमी), उत्तराखंड (345 किमी), जम्मू और कश्मीर (1,597 किमी), हिमाचल प्रदेश (260 किमी) और सिक्किम (198 किमी) की सीमा लगती है.

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