लगभग 10 दशक पहले, एक जैन भिक्षु, बुद्धिसागर ने भविष्य की ओर दृष्टि कर यह भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि भविष्य में किराने की दुकानों में पानी बेचा जाएगा, और अब हम अपने घर के पास की दुकानों से ताजे पानी के नाम पर पानी के डिब्बे खरीद रहे हैं.
हम इस स्थिति तक आखिर कैसे पहुंच गए? यह इस संदेह के कारण है कि घरों में आने वाला ताजा पानी सीधे तौर पर पीने के काबिल नहीं है. नल के पानी में लगातार मल के अंश पाया जाना देश के सभी लोगों का भयावह अनुभव है. ज़रा सोचिए अगर केंद्रीय मंत्री खुद को कभी ऐसी ही स्थिति में पाएं तो!
हाल ही में, देश की राजधानी, नई दिल्ली में, गुणवत्ता मानकों के लिए नल से प्राप्त पीने के पानी की स्वच्छता का परीक्षण किया गया. इसके लिए, विभिन्न रिहायशी इलाकों से पानी के 11 नमूने एकत्र किए गए थे. इन आवासों में से एक, 10 जनपथ, कृष्णभवन में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान का कार्यालय भी था. इस पानी को उनकी गुणवत्ता के लिए चुनिंदा 19 मापदंडों में परखा गया था. दुर्भाग्यवश लगभग सभी 11 नमूने इन मापदंडों द्वारा निर्धारित मानकों पर खरा उतरने में विफल रहे.
पानी के नमूने घुलित ठोस पदार्थ, अशुद्धियों, कठोरता, क्षारीयता, खनिज, धातु सामग्री, मल-जल के अंश और रोगाणुओ जैसे मापदंडों पर स्वच्छ साबित करने में नाकामियाब रहे. यह परिणाम सचमुच एक राजनीतिक आपदा के तौर पर देखे गए.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 'हमारी सरकार के लिए अपमान है' का नारा दिया और उन्होंने दिल्ली में मौजूद अस्वच्छ पेयजल के आरोप को साबित करने की चुनौती उन्होंने आनन-फानन में दे डाली.
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पासवान, ने जब यह स्पष्ट किया कि यह अध्ययन केवल राज्य सरकारों को, लोगों को स्वच्छ पेयजल प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था, तब जाकर कहीं यह विवाद शांत हुआ. पासवान ने आश्वासन दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे कि देश में शहरों में दिया जाने वाला पानी भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों को पूरा करे. सभी जल आपूर्ति कम्पनियों को बीआईएस अनिवार्य मानकों का पालन करने के लिए कहा गया है. संभवतः एक बेहतर स्थिति की उम्मीद की जा सकती है, इस घटना के कारण जहां मंत्री ने बीआईएस मानकों को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बढ़ाने और नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय मानक का पानी उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी खुद अपने कंधों पर ले ली है.
क्या देशभर में परीक्षण संभव है?
वर्तमान में, यह अनिवार्य है कि अधिकतर उत्पाद जैसे पानी के डिब्बे और लगभग 140 अन्य उत्पाद बीआईएस मानक मापदंडों से मेल खाते हों. केंद्र को यह अनिवार्य बनाने का अधिकार सुरक्षित है कि हर उत्पाद/सेवा को गुणवत्ता मानक परीक्षण पास करना होगा. पेयजल की गुणवत्ता से संबंधित, हाल में हुए घटनाक्रमों के मद्देनजर, बीआईएस अधिकारी जल परीक्षण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे पर चर्चा करने के लिए राज्यों के सरकारी स्वास्थ्य विभागों और नगर पालिकाओं के साथ चर्चा कर रहे हैं, जो कि पीने के पानी की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाल ही में एक नल से सीधे पीने के पानी का उपयोग करने के लिए स्पष्ट तौर पर मना नहीं किया है. एक अध्ययन से पता चला है कि यमुना नदी ने प्रदूषण नियंत्रण सीमाओं को पार कर चुका है. इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए... बड़ा सवाल यह है कि क्या यह घोषणा करना संभव है कि नल से दिया जाने वाला पानी बीआईएस मानकों पर खरा उतरता है.
वास्तव में, 2024 तक सभी लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के अपने मिशन के तहत, केंद्रीय उपभोक्ता विभाग ने बीआईएस की मदद से देशभर में आपूर्ति किए जा रहे नल के पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने का निर्णय लिया है.
राज्यों, स्मार्ट शहरों और जिलों को गुणवत्ता मापदंडों के परीक्षण के आधार पर श्रेणीबद्ध करने की उम्मीद है. इसके तहत, हाल ही में स्थापित 'भारतीय मानक 10500 : 2012' पीने के पानी के उद्देश्य से, घोषणा की कि अधिकतर नमूनों का परीक्षण जो भौतिक, रासायनिक और विषाक्तता के मापदंडों पर किए थे. इनमें से ज़्यादातर मॉडल विफल रहे. मुंबई दुनिया के सबसे साफ पानी की आपूर्ति करने वाले शहरों में से नंबर एक रूप में उभरा, क्योंकि परीक्षण के लिए मुंबई से एकत्र किए गए 10 नमूनों में से कोई भी विफल नहीं हुआ.
हैदराबाद और भुवनेश्वर में एकत्र किए गए 10 नमूनों में से केवल 1 नमूने के साथ मुंबई के बाद आने वाले शहरों में हैं. अमरावती में दस में से छह नमूने फेल हो गए. दिल्ली, चंडीगढ़, तिरुवनंतपुरम, पटना, भोपाल, गुवाहाटी, बेंगलुरु, गांधीनगर, लखनऊ, जम्मू,, जयपुर, देहरादून और कोलकाता में सभी नमूने विफल रहे. पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों और अन्य राजधानियों में पीने के पानी के परीक्षण के बाद 15 जनवरी 2020 तक रिपोर्ट जारी की जाएगी.
योजना है कि सभी जिला केंद्रों से नमूने एकत्र करने और परीक्षण करने ने बाद 15 अगस्त, 2020 तक रिपोर्ट जारी की जाए.