हैदराबाद : कोरोना काल में देशभर में प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया. ऐसे में यह मजदूर अपने गांवों को लौटे तो यहां उन्हें राहत मिली क्योंकि मनरेगा के दौरान काम करते हुए उन्हें अपना घर चलाने के लिए पैसे मिले. नतीजा यह निकला की कोरोना संक्रमण काल में मनरेगा ने रोजगार सृजन का अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया. इसको लेकर मंगलवार को संसद में प्रश्न उठे कि कोरोना काल में मनरेगा किस तरह मजदूरों की मदद कर रहा है.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे वर्ष 2005 में विधान द्वारा अधिनियमित किया गया. यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है.
चालू वित्त वर्ष के सिर्फ साढ़े चार महीने में ही योजना के तहत 5.53 करोड़ ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मिला है, जबकि संपूर्ण वित्त वर्ष 2010-11 में रिकॉर्ड 5.5 करोड़ लोगों को काम मिला था.
मनरेगा के लिए आवेदन कैसे करें
मनरेगा अन्तर्गत रोजगार पाने को इच्छुक वयस्क सदस्य पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र निर्धारित प्रपत्र या स्थानीय ग्राम पंचायत को सादे कागज पर दिए जा सकते हैं.
- मनरेगा एक मांग आधारित मजदूरी रोजगार योजना है.
- मनरेगा अधिनियम के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में घर का एक सदस्य योजना के तहत नौकरी की मांग के लिए पात्र है.
- योजना के तहत नौकरी की मांग के लिए पात्र. जॉब कार्ड पंजीकृत करने का कोई प्रावधान नहीं है.
- इस योजना के तहत प्रवासी मजदूर या उसके परिवार को जॉब कार्ड दिया जा सकता है.
- वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान जारी किए गए 64,95,823 नए जॉब कार्ड की तुलना में चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक कुल 86,81,928 नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं.
- अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 तक मनरेगा के तहत जारी किया गया खर्च