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कोरोना : अर्थव्यवस्था ही नहीं लोकतंत्र पर भी गहरा असर - democracy after pandemic

दुनियाभर के देश कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं. इस लड़ाई के बीच नए नियम-कानून बन रहे हैं. लोक व्यवहार के नए प्रतिमान उभर रहे हैं. सरकारें अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ा रही हैं. सूचना के प्रसार पर सरकार का नियंत्रण बढ़ रहा है. इस महामारी के खत्म होने के बाद भी लोकतंत्र पर इसका गहरा असर पड़ सकता है.

impact of covid 19 on democracy
प्रतीकात्मक फोटो

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Published : Apr 8, 2020, 4:41 PM IST

हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस से फैली महामारी से जूझ रही है. इस महामारी के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों पर हर तरफ चर्चा हो रही है. इस महामारी का अर्थव्यवस्था ही नहीं लोकतंत्र पर भी गहरा असर पड़ सकता है.

यह महामारी ऐसे समय में फैली है जब दुनिया के कई विकासशील देश अलोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ पहले से ही लड़ाई लड़ रहे थे. महामारी के खिलाफ इस लड़ाई ने कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं. यह सवाल भविष्य में लोगों के सरकार के साथ रिश्ते को प्रभावित कर सकते हैं.

महामारी का लोकतांत्रिक व्यवस्था के कई क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ेगा. ऐसे कुछ क्षेत्र हैं-

शक्ति का केंद्रीकरण
कई देशों में देखा गया है कि सरकारें महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र और शक्तियों का विस्तार कर रही हैं.

दुनियाभर के 50 से ज्यादा देशों ने आपातकाल घोषित कर दिया है. कुछ देशों की सरकारें इस आपात स्थिति फायदा उठाते हुए विपक्ष के अधिकारों का हनन कर रही हैं. हंगरी ने एक कानून पारित किया है जो प्रधानमंत्री को अनिश्चित काल तक के लिए शासन करने की पूर्ण शक्ति देता है.

सूचना पर अधिक नियंत्रण/सेंसर
दुनियाभर में कई देशों की सरकारों ने सूचना को सेंसर करना शुरू कर दिया है. यह देखा जाना कि किस तरह की सूचना प्रसारित की जा रही है, बेहद महत्वपूर्ण है. महामारी के समय में गलत सूचनाएं मुश्किलों को और बढ़ा सकती हैं.

साथ ही यह भी देखने को मिल रहा है कि कई देश मीडिया पर अलोकतांत्रिक प्रतिबंध लगा रहे हैं. जैसे, थाईलैंड में महामारी के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर सवाल करने पर पत्रकारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

सरकार के खिलाफ प्रदर्शन थमे
कोरोना वायरस से फैली महामारी के चलते दुनियाभर में जो प्रदर्शन हो रहे थे, वह थम गए हैं. अब यह देखना है कि इस महामारी के खत्म होने के बाद क्या वह प्रदर्शन फिर से उसी तीव्रता के साथ होंगे. सरकारों ने अभी प्रदर्शनों पर पाबंदियां लगाई हैं. कई लोगों को लगता है कि सरकारें उनको दोबारा होने ही नहीं देंगी.

सामाजिक जुड़ाव बढ़ा
महामारी के दौरान लोग सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं, लेकिन वह समाज से कटे नहीं हैं. इस महामारी के दौरान लोगों की मदद करने के लिए कई स्वयं सहायता समूह आगे आए और लोगों द्वारा पहल शुरू की गई. बता दें कि इसमें सरकार का कोई योगदान नहीं है.

लोगों का समाज के प्रति झुकाव बढ़ता दिखाई दे रहा है. लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं. यह आने वाले समय में समाज को लेकर साकारात्मक संकेत देता है.

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