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मेघालय में तनाव जारी, समझें क्या है आईएलपी विवाद

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Published : Mar 4, 2020, 8:04 PM IST

Updated : Mar 4, 2020, 8:24 PM IST

इनर लाइन परमिट की मांग को लेकर मेघालय में विरोध प्रदर्शन जारी है. इसे लेकर आदिवासी और गैर आदिवासी समुदायों के बीच हिंसा फैल गई. तीन लोगों की जानें जा चुकी हैं. हालांकि, पुलिस ने कहा कि राज्य की स्थिति सामान्य है. आइए जानते हैं क्या है पूरा विवाद.

कर्फ्यू
कर्फ्यू

शिलांग : इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की मांग को लेकर मेघालय में विरोध जारी है. प्रदेश के कई इलाकों में विरोध बढ़ने के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है. पुलिस ने कहा कि राज्य की स्थिति सामान्य है, लेकिन राजधानी में गुरुवार सुबह छह बजे तक और सोहरा और शेला इलाके में सुबह आठ बजे तक कर्फ्यू जारी रहेगा.

शिलांग में कानून व्यवस्था में सुधार होने के साथ बुधवार को पुलिस बाजार और अंजलि सिनेमा क्षेत्र में चार घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई थी.

बता दें कि शिलांग में आदिवासी और गैर आदिवासी समूहों के बीच हुई झड़प के बाद शनिवार को कर्फ्यू लगा दिया गया था. इस झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई है.

सहायक पुलिस महानिरीक्षक जी लांगराई ने एक बयान में कहा कि शिलांग के पुलिस बाजार एवं अंजलि सिनेमा क्षेत्र को छोड़ कर समूचे शिलांग शहर में बुधवार को रात के कर्फ्यू में सुबह छह बजे ढील दी गई थी.

क्या है इनर लाइन परमिट विवाद

आईएलपी यानी इनरलाइन परमिट एक ट्रैवेल डॉक्यूमेंट हैं. इसे ब्रिटिश सरकार ने 1873 (ईस्टर्न फ्रंटियर विनियम) में शुरू किया था. जिन राज्यों में यह व्यवस्था लागू है, अगर आप उस इलाके में घूमना चाहते हैं या फिर किसी और सिलसिले में वहां जाना चाहते हैं, तो आपको सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है.

कहां-कहां लागू है यह व्यवस्था

अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम में आईएलपी व्यवस्था लागू है.

मेघालय में विवाद की असली वजह

मेघालय में खासी समुदाय के लोगों ने आईएलपी व्यवस्था लागू करने की मांग की है. इस बाबत विधानसभा से एक संकल्प पारित किया जा चुका है. उनकी आशंका है कि सीएए लागू होने के बाद जो शरणार्थी लंबे समय से रह रहे हैं, वे यहां के स्थायी वासी बन जाएंगे. इससे उनके संसाधनों पर अधिक जोर पड़ेगा. उनका हक मारा जाएगा. लिहाजा, वे चाहते हैं कि आईएलपी व्यवस्था लागू की जाए, ताकि उनके अधिकारों की कटौती ना हो.

केन्द्र सरकार ने साफ कर दिया है कि मेघालय के अधिकांश इलाके छठी अनुसूची में आते हैं, लिहाजा इन इलाकों में सीएए लागू नहीं होगा. फिर भी विरोध जारी है.

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सरकार के एक धड़े का मानना है कि आईएलपी लागू होने से राज्य में पर्यटन को लेकर स्थिति बिगड़ सकती है. इससे अंततः स्थानीय लोगों को ही नुकसान पहुंचेगा.

मेघालय के दूसरे आदिवासी समुदाय भी ऐसी ही मांग उठा रहे हैं.

Last Updated : Mar 4, 2020, 8:24 PM IST

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