रुड़की :आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने 'लो विजिब्लिटी' सिनेरियो में हादसे के जोखिम को कम करने के लिए एक आर्किटेक्चर व एल्गोरिथम विकसित किया है. जो कोहरे की उपस्थिति में दृश्यता दूरी को तेजी से कम करती है. साथ ही बेहतर ड्राइविंग अनुभव भी देती है. इसके अलावा एक ऑटोमैटिक ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (एडीएएस) भी लगाया गया है. जो ब्लाइंड-स्पॉट डिटेक्शन, लेन डिपार्चर वार्निंग और टक्कर चेतावनी में क्लीयर इमेज डेटा मुहैया कराती है. यह शोध इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्टिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स में प्रकाशित हुआ है.
आईआईटी रुडकी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. ब्रजेश कुमार कौशिक ने बताया कि इस शोध का उद्देश्य रियल-टाइम डिफॉगिंग के लिए एक सिस्टम डिजाइन करना था. जो फॉगी फ्रेम से इनपुट लेकर एक क्लीयर इमेज स्ट्रीम उत्पन्न करता हो. इसके अलावा, फ्रेम लैग या ड्रॉप से बचने के लिए परिवहन में एक हाई फ्रेम रेट आवश्यक है.
ऐसे में कोई वाहन 110 किमी/घंटा पर चल रहा है और 5 फ्रेम प्रति सेकंड एडीएएस को अपनाया जाता है तो सिस्टम रिएक्ट्स (प्रोसेसिंग/थिंकिंग टाइम) से पहले वाहन 21 फीट की दूरी तय करेगा. जबकि, 60 फ्रेम प्रति सेकंड एडीएएस के लिए रिएक्शन डिस्टेंस कम होकर 2 फीट हो जाता है. हाई रिजॉल्यूशन पर एक हाई फ्रेम रेट प्राप्त करने के लिए डेडिकेटेड वीडियो डिफॉगिंग हार्डवेयर की आवश्यकता होती है. हालांकि, रियल-टाइम प्रोसेसिंग के लिए डेडिकेटेड हार्डवेयर के लिए एक एल्गोरिथ्म इफेक्टिव मैपिंग नॉन ट्रिवियल है.
उन्होंने बताया कि एक्सपोनेंशियल फंक्शन, फ्लोटिंग-पॉइंट मल्टी एप्लीकेशन व डिवीजन, फुल इमेज बफर, प्रोसेसर और डायनेमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (डीआरएएम) के बीच डेटा ट्रांजेक्शन जैसे ऑपरेशंस प्रदर्शन को खराब करते हैं. इन चुनौतियों को खत्म करने के लिए उन्होंने रियल-टाइम वीडियो डिफॉगिंग के लिए एक मेथड और आर्किटेक्चर विकसित की है. जो पावर और मेमोरी की जरूरतों को कम करते हुए हाई परफोर्मेंस और इमेज रेस्टरेशन क्वालिटी देती है.