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कोविड-19 से लड़ने के आसान प्रयासों पर विचार करने हैकाथॉन का आयोजन

इंडो-जापानी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम आईआईटी रुड़की ने सोशल इनोवेशन ऑनलाइन हैकाथॉन का आयोजन किया है. इसमें आम समस्याओं के साथ-साथ कोविड-19 से लड़ने के आसान प्रयासों पर विचार किया जाएगा.

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हैकाथॉन

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Published : Aug 25, 2020, 1:07 PM IST

हैदराबाद : आज आईआईटी रुड़की इंडो-जापानी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर 'सोशल इनोवेशन ऑनलाइन हैकाथॉन' का आयोजन कर रहा है. हैकथॉन का उद्देश्य उद्यमियों (एंटरप्रेन्योर) को एक अवसर प्रदान करना है जिससे वे एसडीजी पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोविड​​-19 से निपटने के लिए कम लागत वाले नवाचारों पर काम कर सकें.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की और देश के तीन अन्य प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों ने सोशल इनोवेशन ऑनलाइन हैकथॉन (एसआईओएच) आयोजित करने के लिए इंडो-जापानी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग किया है.

यह हैकाथॉन आईआईटी हैदराबाद, वीएनआईटी नागपुर, एनआईटी दुर्गापुर, आईआईटी रुड़की, कियो विश्वविद्यालय और इंडिया-जापान लैबोरेट्री द्वारा आज आयोजित हो रहा है.

हैकाथॉन दोपहर 12.30 बजे से 14.30 बजे तक आयोजित किया जाएगा और जूम मीटिंग ऐप के माध्यम से इसमें भाग लिया जा सकता है. वास्तुकला, आपदा प्रबंधन, कंप्यूटर विज्ञान और अनुप्रयोग, अर्बन स्टडीज और नीति अध्ययन के प्रतिभागी इसमें हिस्सा लेंगे. विजेता टीम इंडिया-जापान लैबोरेट्री, आईआईटी रुड़की, आईआईटी हैदराबाद, विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वीएनआईटी) नागपुर, और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) दुर्गापुर में एक इंटर्नशिप करेगी.

संस्थान द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस आयोजन का उद्देश्य कोविड-19 महामारी जैसी अप्रत्याशित समस्याओं से निपटने के लिए अद्वितीय समाधान खोजना और भूखमरी जैसी समस्याओं का समाधान ढूंढना साथ ही अच्छे स्वास्थ्य, लिंग समानता, स्वच्छ पानी और सतत विकास करना है.

हैकथॉन का उद्देश्य उद्यमियों (एंटरप्रेन्योर) को एक अवसर प्रदान करना है जिससे वे एसडीजी पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोविड​​-19 से निपटने के लिए कम लागत वाले नवाचारों पर काम कर सकें.

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इसमें आम समस्याओं का समाधान किया जाएगा जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन को आसान बनाना, उपभोक्ताओं को स्ट्रीट हॉकरों से जुड़ना, प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन, और महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्त सुविधाओं तक पहुंच की कमी, खाद्य सुरक्षा और जल संरक्षण जैसी समस्याओं पर भी विचार किया जाएगी और इनका समाधान निकाला जाएगा.

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