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आईआईटी मद्रास ने किया पीपीई निवारण के लिए खास 'डॉफिंग यूनिट' तैयार

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Published : May 11, 2020, 6:35 PM IST

आईआईटी मद्रास चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल का सहयोग कर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स (पीपीई) के सुरक्षित निवारण के लिए एक खास मॉड्यूलर 'डॉफिंग यूनिट' के निर्माण में मदद कर रहा है. यह परियोजना कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत कॉर्पोरेट्स की वित्तीय सहायता के साथ शुरू की गई थी. पढ़ें पूरी खबर...

IIT Madras designs constructs doffing unit for safe removal of PPE
डॉफिंग यूनिट

नई दिल्ली/चेन्नई : आईआईटी मद्रास चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल का सहयोग कर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स (पीपीई) के सुरक्षित निवारण के लिए एक खास मॉड्यूलर 'डॉफिंग यूनिट' के निर्माण में मदद कर रहा है.

बता दें, लॉकडाउन के दौरान डॉफिंग यूनिट की पूरी डिजाइन, निर्माण और तैनाती दूरस्थ रूप से की गई है. कॉरपोरेट्स द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के माध्यम से इस परियोजना को वित्त पोषण सहायता दी जा रही है.

डॉफिंग यूनिट

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट तमिलनाडु के चेंगलपट्टू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (सीएमसीएच) के साथ मिलकर हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पीपीई के सुरक्षित निवारण के लिए मॉड्यूलर 'डॉफिंग यूनिट' तैयार कर रहा है.

यह परियोजना कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत कॉर्पोरेट्स की वित्तीय सहायता के साथ शुरू की गई थी.

बता दें, हेल्थकेयर प्रदाताओं द्वारा पीपीई को असेंबल करने की प्रक्रिया को 'डोनिंग' कहते हैं, जबकि पीपीई के निवारण की प्रक्रिया 'डॉफिंग' कहलाती है.

इस तरह की प्रक्रियाओं को संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कुछ मानक नियमों का पालन करना पड़ता है. इसलिए कोविड-19 रोगियों का उपचार करने वाले अस्पतालों में पीपीई के सुरक्षित निवारण के लिए 'डोनिंग' और 'डॉफिंग' यूनिट का होना आवश्यक है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पीपीई के लिए कुछ मानक तय किए हैं, जिसके तहत 'डोनिंग' और 'डॉफिंग' प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए.

प्रोफेसर कोशी वर्गीस और प्रोफेसर अरुल जयचंद्रन, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास, चेंगलपट्टू गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की इनोवेशन टीम और पेशेवरों की एक बहु-विषयक टीम ने आपसी सहयोग से सफलतापूर्वक डॉफिंग यूनिट को न सिर्फ डिजाइन किया, बल्कि इसे स्थापित भी किया है.

बता दें, यह संपूर्ण कार्य अप्रैल 2020 से जारी है. इस बीच सहयोग के लिए आईआईटी मद्रास, सीएमसीएच, लोक निर्माण विभाग, नंदिनी और अरुणिमा आर्किटेक्ट्स (अकरमा डिजाइन), आईआईटी मद्रास स्टार्ट के कवि कुमार, ईपीएससीआर और फैब्रिकेटर, स्टील टेक और मेटलस्कोप प्राइवेट लिमिटेड, पुदुचेरी के बीच ऑनलाइन चर्चा भी की गई.

इस टीम ने निर्माण के लिए संस्करण को अंतिम रूप देने से पहले कई डिजाइन के संस्करण तैयार किए और उनकी समीक्षा की. जिला अधिकारियों ने भी सीएमसीएच में परिचालन स्थान के लिए यूनिट के निर्माण और सुरक्षित परिवहन को सक्षम करने के लिए टीम के साथ समन्वय किया.

यह यूनिट छह मई 2020 को चेंगलपट्टू के जिला कलेक्टर जॉन लुई द्वारा कमीशन किए गए. अहम बात यह है कि वर्तमान महामारी के दौरान सीएमसीएच में यह सुरक्षित और प्रभावी साबित हो रहे हैं और एक महत्वपूर्ण जरूरत को पूरा कर रहे हैं.

चेंगलपट्टू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कोविड-19 वार्ड की स्टाफ नर्स विजयलक्ष्मी ने डॉफिंग यूनिट के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'इससे मुझे सुरक्षित महसूस हो रहा है कि मैं संक्रमण को अपने घर और समुदाय के बीच नहीं ले जा रही हूं.'

यूनिट डिजाइन के प्रसार के साथ-साथ निरंतर परिशोधन को सक्षम करने के लिए शहरीकरण, भवन और पर्यावरण केंद्र (सीयूबीई) सरकारों और अस्पतालों के साथ मिलकर काम करेगा और विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर डॉफिंग यूनिट की तैनाती के लिए सलाह देगा.

जानकारी के लिए आपको बता दें, सीयूबीई तमिलनाडु सरकार के साथ संयुक्त रूप से आईआईटी मद्रास में स्थापित उत्कृष्टता केंद्र है.

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