कोच्चि : निलंबित आईएएस अधिकारी एम शिवशंकर ने सोने की तस्करी में धनशोधन के आरोपों से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में जमानत के लिए शुक्रवार को केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
शिवशंकर को ईडी द्वारा 28 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था, वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं. शिवशंकर ने यहां धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के मामलों की विशेष अदालत द्वारा नियमित जमानत अर्जी 17 नवंबर को खारिज किये जाने के बाद यह जमानत याचिका दायर की.
न्यायाधीश कौसर एडाप्पागत ने जमानत देने से इनकार करते हुए अपने आदेश में कहा था कि जांच महत्वपूर्ण चरण में है. ईडी को सभी सामग्री जुटाने में और समय की जरूरत होगी, खासतौर पर अपराध से याचिकाकर्ता की कथित साठगांठ को लेकर.
नौकरशाह ने उच्च न्यायालय में अपनी अर्जी में आरोप लगाया कि झूठे और गढ़े हुए आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने विभिन्न एजेंसियों से रिश्वत स्वीकार की और सोना तस्करी मामले की मुख्य आरोपी स्वप्न सुरेश के लॉकर में रखे रुपये उनके हैं.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के पूर्व प्रधान सचिव शिवशंकर ने कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ अपने आरोपों की पुष्टि के लिए कोई भी सामग्री नहीं दे सका है.
शिवशंकर ने दावा किया कि ईडी द्वारा पीएमएलए मामले की जांच के सिलसिले में सुरेश से लगभग आठ हस्ताक्षरित बयान दर्ज किए गए थे. इन बयानों में से किसी में भी उसने उनका नाम नहीं लिया और न ही कहा कि उन्हें सोने की तस्करी की जानकारी थी.
अधिकारी ने आरोप लगाया कि ईडी उन्हें अपराध (धनशोधन) से नहीं जोड़ सका और विशेष अदालत द्वारा इस पर सवाल उठाने के बाद, उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराने के लिए एजेंसी ने सुरेश से नौवां बयान लिया और उन्हें फंसाया.
उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी अपने मुख्य आरोप से भटक गया और दावा किया कि सुरेश के लॉकर से जब्त पैसा बाढ़ राहत के संबंध में केरल सरकार की प्रस्तावित कुछ परियोजनाओं से प्राप्त रिश्वत का था.