नई दिल्ली :रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के लगभग 50 भारतीय वैज्ञानिकों को नवंबर महीने की शुरुआत में आपातकालीन ऑपरेशन में आईएएफ सी-17 ग्लोबमास्टर द्वारा किर्गिस्तान से बाहर निकाला गया था. ये वैज्ञानिक साइंस्टिफिक कार्य के लिए गए थे.
एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि डीआरडीओ वैज्ञानिक एक परीक्षण का हिस्सा थे और कुछ महीनों से किर्गिस्तान में थे. उनमें से कई कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और उनके अनुरोध पर उन्हें वापस भारत लाने का निर्णय लिया गया. इसलिए भारतीय वायुसेना को इस ऑपरेशन में लगाया गया था.
आपातकालीन एयरलिफ्ट भारत के किर्गिस्तान के साथ नजदीकी रक्षा संबंध के कारण हुआ, जो भारत की तरह ही चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है.
परंपरागत रूप से, भारत की किर्गिस्तान सहित मध्य एशियाई देशों में रुचि ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने और आतंकवाद को रोकने व मादक पदार्थों की तस्करी गतिविधियों को नियंत्रित करने की आवश्यकता के कारण बनी थी, जो काफी हद तक अफगानिस्तान से उत्पन्न होती है.
मगर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसे बड़े प्रोजेक्ट के साथ इस क्षेत्र में चीन के अतिक्रमण के बीच, भारत ने मध्य एशियाई क्षेत्र के देशों के साथ नए सिरे से अधिक मजबूत और घनिष्ठ संबंध बनाने का प्रयास किया है.
हाई-एल्टीट्यूड बायोमेडिकल रिसर्च रक्षा सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जिसके लिए 2011 में किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में किर्गिज-इंडिया माउंटेन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर (KIMBMRC) स्थापित किया गया था.