हैदराबाद : पिछले 26 वर्षों से निजाम ज्वेलरी ट्रस्ट की आय और धन कर का मामला लंबित है, जिसके बाद हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान के परिजनों ने केंद्र सरकार से इसका हल तलाशने का आग्रह किया है.
बता दें कि हैदराबाद के आखिरी निजाम ने 54 ट्रस्ट बनाए थे, जिनमें से एक निजाम ज्वेलरी ट्रस्ट है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए आखिरी निजाम के पोते नजफ अली खान ने बताया कि सरकार ने 1995 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 206 करोड़ रुपये के गहने खरीदने पर सहमति जताई थी. इन गहनों को निजाम परिवार के 114 लोगों के बीच वितरित किया गया था. समय के साथ आयकर विभाग ने बकाया और संपत्ति कर के रूप में ट्रस्टियों से कुल 30.50 करोड़ रुपये मूल्य की ज्वेलरी लौटाने की मांग की थी.
कर मुद्दे के समाधान की मांग की 12 जनवरी 1995 को 206 करोड़ रुपये में से इस राशि का भुगतान किया गया था, जिसमें 15.45 करोड़ रुपये बकाया थे, जिनमें से इस राशि का एक बड़ा हिस्सा बाद में रिफंड में मिला. इन रिफंड्स को उक्त ट्रस्ट के ट्रस्टियों के निर्देश के साथ गलत तरीके से समायोजित किया गया था, जिन्होंने कभी भी आयकर के साथ वन टाइम सेटलमेंट नहीं किया था. 14.05 करोड़ रुपये की अन्य राशि को स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, जो अब भारतीय स्टेट बैंक है, में भविष्य की देनदारियों के लिए विभाग के साथ ग्रहणाधिकार के रूप में रखा गया था.
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उन्होंने आगे कहा कि निजाम परिवार के 114 लोगों में से 39 का इस अवधि के दौरान निधन हो चुका है. निजाम के पोते ने सरकार से आग्रह किया कि वह वन-टाइम सेटलमेंट कराके इस मुद्दे को हल करें.
बता दें कि हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान को दुनिया के सबसे धनी लोगों में से एक माना जाता था और ट्रस्ट के पास जो गहने हैं उनमें कुछ कीमती पत्थर और रत्न शामिल हैं.