नई दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि कोविड-19 के दौर में भारत के स्कूलों और विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन एजुकेशन की चुनौती को बड़ी सहजता के साथ स्वीकार किया है. मार्च में लॉकडाउन के बाद भले ही शुरुआती दिक्कतें आई हों, लेकिन स्कूलों और कॉलेजों ने चुनौती को बखूबी स्वीकार किया.
उन्होंने कहा कि देश में 1 करोड़ 9 लाख से ज्यादा शिक्षक हैं और उन्होंने बहुत कम समय में न सिर्फ ऑनलाइन शिक्षण को अपनाया बल्कि उससे करोड़ों छात्रों को फायदा पहुंचाया.
जिस समय छात्रों के ऊपर पाठ्यक्रम का बोझ था, सरकार ने एनसीईआरटी के साथ मिलकर उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में बदलाव किया. केंद्रीयमंत्री ने बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय कोरोना काल में लगातार स्वास्थ्य मंत्रालय और गृहमंत्रालय के संपर्क में है और हम छात्रों की पढ़ाई और उनके सेहत को लेकर लगातार परामर्श करते रहते हैं.
डॉ निशंक ने कहा कि सरकार ने एनसीईआरटी के साथ मिलकर ऐसा शैक्षणिक कैलेंडर बनाया है, जिससे छात्रों का तनाव कम हुआ है और उन्हें अपनी पढ़ाई को और व्यवस्थित तौर पर करने का अवसर मिला है. यह बातें केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन से विशेष बातचीत के दौरान की.
वर्तमान शिक्षा की स्थिति पर बात करते हुए डॉ निशंक ने कहा कि भारत ने कोरोना जैसे महासंकट में, जिस तरह से खुद को ढाला है, वह अपने आप में लाजवाब है.
डॉ निशंक से ईटीवी भारत ने जब यह पूछा कि कहीं ऑनलाइन शिक्षा की वजह से हमारी परंपरागत शिक्षा व्यवस्था से हमारा ध्यान तो नहीं हट जायेगा, इस पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, 'जिस समय हमने ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था को अंगीकार कर आगे बढ़ना शुरू किया. वह वास्तव में एक विकट समय था, न तो हमें इसके बारे में पता था न ही आपको पता था, लेकिन अगर हम चुनौती को नहीं लेते तो शायद हम आगे भी नहीं बढ़ पाते.
आज भी हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि हम अंतिम छोर पर बैठे हुए हैं. हमारी कोशिश है कि हम अंतिम छात्र तक पहुंचे, ताकि शिक्षा की रौशनी उन बच्चों तक पहुंच सके, जो शिक्षा से वंचित हैं.