नई दिल्ली : कोरोना संकट और लॉकडाउन जैसी परिस्थिति में डिजिटल शिक्षा के अलावा कोई रास्ता नहीं था और डिजिटल शिक्षा ही आगे चल कर प्रगति का आधार बनेगा. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 'वर्तमान परिस्थिति में डिजिटल शिक्षा, चुनौतियां और अवसर' विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए ये बातें कही हैं.
एक तरफ जहां शिक्षाविद्, विशेषज्ञ और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे कई गैर सरकारी संगठन ऑनलाइन शिक्षा की आलोचना कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ सरकार लगातार डिजिटल शिक्षा पर जोर दे रही है.
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन शिक्षा कभी भी सामान्य क्लासरूम शिक्षा का विकल्प नहीं बन सकती. साथ ही उनका यह भी मानना है कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा से दूर हो जाएगा. लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्री ने शनिवार को वेबिनार में अपने संबोधन के दौरान इस विषय पर बोलते हुए कहा कि डिजिटल के अलावा अभी कोई और विकल्प मौजूद नहीं है और देशभर में लाखों छात्रों को आज सरकार द्वारा लॉन्च किए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का लाभ मिलना शुरू हो गया है.
उन्होंने कहा कि हमने जब NEET और JEE की परीक्षाओं की तिथि जारी की, उसके बाद कई अभ्यर्थियों ने ये समस्या सामने रखी कि लॉकडाउन और महामारी के संकट में न तो वो कोचिंग जा सकते हैं और न ही मॉक टेस्ट का ही अभ्यास कर पा रहे हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इसे तुरंत संज्ञान में लेते हुए एक अभ्यास ऐप तैयार किया, जिसे 10 लाख छात्रों ने डाउनलोड किया है. लगभग आठ लाख छात्र इस पर टेस्ट का अभ्यास कर चुके हैं. इस ऐप को फिर एनटीए ने हिन्दी भाषा के छात्रों के लिए भी बनाया. इस तरह से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ लाखों छात्रों को मिल रहा है.
केंद्रीय मंत्री निशंक ने बताया कि सरकार ने देशभर के 100 से ज्यादा विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाने के लिए अनुमति दी है और आगे इसको और भी बढ़ाएंगे.