नई दिल्ली: केंद्रीयमानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' नेकहा है किरॉकेटऋग्वेद की ऋचाओं से पैदा हुए हैं. उन्होंनेसंस्कृत को दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषा करार दिया है. निशंक ने कहा कि अगर कोई और भाषा संस्कृत जैसी वैज्ञानिक हो, तो लोगउन्हेंआ कर बताएं.
बकौल रमेश पोखरियाल निशंक, भारत हमेशा से विश्व गुरु रहा है. उन्होंने कहा कि विदेशों के वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं कि उन्हें कई अविष्कारों की प्रेरणा भारत के प्राचीन ग्रंथों से ही मिली है.
अपने भाषण में रमेश पोखरियाल ने ऋषि चरक द्वारा लिखे गए चरक संहिता का भी जिक्र किया. उन्होंने सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक बताया. उन्होंने माना कि कई अविष्कारों का श्रेय भारत देश को इसलिये नहीं मिलता, क्योंकि हम नवाचार और शोध के जरिये उन्हें आगे नहीं बढ़ा सके.
कार्यक्रम के दौरान बोलते रमेश पोखरियाल निशंक भारत की त्रासदी !
राम का नाम लेते हुए निशंक ने कहा कि राम पुरुषों में उत्तम थे इसलिये उन्हें मर्यादा पुर्षोत्तम कहा जाता है. हमारे देश की ये त्रासदी रही है कि कोई भी थोड़ा ज्यादा अच्छा काम करता है तो उसको भगवान मानने लगते हैं. निशंक का कहना है कि लोगों को राम को भी एक सामान्य व्यक्ति मानना चाहिये और उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिये.
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दरअसल, निशंक दिल्ली के मानेकशॉ स्टेडियम में नेशनल कॉउन्सिल फॉर टीचर एजुकेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे. निशंक देश भर से पहुंचे शिक्षाविदों को संबोधित कर रहे थे.
अपनी बातों पर कायम हैं
गौरतलब है कि बीते हफ्ते आईआईटी मुंबई के दीक्षांत समारोह में भी अपने भाषण के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक ने ये बातें कही थीं. इसके बाद उनके बयानों की खूब चर्चा भी हुई. कुल मिलाकर तामाम आलोचनाओं और चर्चा के बावजूद मोदी सरकार में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल अपने बयानों पर पूरे आत्मविश्वास के साथ कायम हैं.