हैदराबाद : आज के समय में बच्चे मोबाइल, टीवी, कम्प्यूटर पर अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं. इससे उनका स्क्रीन टाइम बढ़ गया है. इन गैजेट्स के लगातार उपयोग से बच्चों की आंखो पर तनाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में माता-पिता द्वारा बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करना एक कठिन कार्य है.
क्या माता-पिता अपने बच्चों की डिजिटल आईस्ट्रेन के साथ संतुलन बना सकते हैं? नेत्र रोग विशेषज्ञों को हमेशा माता-पिता द्वारा अपने बच्चों की घंटों टीवी या मोबाइल चलाने की आदत के बारे में शिकायतें मिलती रहती हैं.
कोरोना के कारण लॉकडाउन ने आग में घी का काम किया है. बाहर जाने और खेलने की कोई संभावना नहीं होने के कारण, बच्चों का औसत स्क्रीन समय ऑनलाइन कक्षाओं, असाइनमेंट, चैटिंग, गेमिंग और शो / फिल्मों को देखने के साथ बढ़ रहा है.
गोवा मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ निखिल एम. कामत ने कहा कि गैजेट्स के इस्तेमाल और आंखों की देखभाल के बीच संतुलन बनाकर आंखों पर पड़ने वाले डिजिटल तनाव से निश्चित रूप से बचा जा सकता है.
माता-पिता को बच्चों की स्क्रीन गतिविधियों के लिए समय निर्धारित करना चाहिए. सिरदर्द की शिकायत करने वाले किसी भी बच्चे को एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से इलाज कराना चाहिए और परामर्श के अनुसार चश्मा भी पहना जाना चाहिए. चूंकि चश्मे के आदी होने में समय लगता है, इसलिए माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे अपने बच्चे को ऐसा करने के लिए लगातार प्रेरित करें.
बच्चों को 20-30 मिनट के बाद दूर की वस्तु देख कर ब्रेक लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए या उपयोग के एक घंटे के बाद स्क्रीन से 10 मिनट का ब्रेक लेने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि गैजेट का उपयोग करने वाले बच्चों में सामान्य आंखों से संबंधित समस्याएं धुंधली दृष्टि, बेचैनी, आंखों पर जोर, थकान, सूखापन और सिरदर्द हैं. इसका कारण यह है कि ज्यादातर लोग चश्मे का उपयोग नहीं कर रहे हैं और पर्याप्त रूप से पलक झपकाए बिना देखने के लिए आंखों पर अत्यधिक जोर डाल रहे हैं.