हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण और प्रसार को रोकने और भविष्य के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की आपात स्थितियों से निबटने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एकीकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए. लोगों की निगरानी से संबंधित डाटा का विश्लेषण संगरोध की बेहतर तरीके से निगरानी में मदद कर सकता है.
इसके अलावा टेक्नोलॉजी का उपयोग क्लस्टर और वायरल वैक्टर की पहचान और रोकथाम के उपायों को लागू करने में मदद के तौर पर किया जाता है.
केरल में कोविड-19 संदिग्धों पर नजर बनाए रखने और यात्रा इतिहास की जानकारी लेने के लिए कॉल सेंटर खोले गए.
इसके साथ ही बारीकी से जांच के लिए सरकार और राज्य पुलिस के डाटाबेस में चेहरा, मोबाइल फोन ट्रेस करना शामिल हैं. इसके साथ ही डाटा का भी विश्लेषण किया जाता है.
चीन में कोविड-19 के प्रकोप के तुरंत बाद ताइवान ने नेशनल हेल्थ कमांड सेक्टर स्थापित किया. इसके साथ ही सरकार ने क्षेत्र के अंदर और बाहर के यात्रियों पर प्रतिबंध लगाया.
बिग डाटा का उपयोग करके संक्रमितों की पहचान की. साथ ही उनके इस प्रयोग ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही फर्जी खबरों पर भी अंकुश लगाया.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी, माइग्रेशन, सीमा शुल्क, अस्पताल दौरा, उड़ान टिकटों के क्यूआर कोड जैसी सूचनाओं को मिलाकर एक डेटाबेस बनाया गया था.
एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) एल्गोरिदम की मदद से लोगों को समय पर सतर्क किया गया. इससे स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए मरीजों के यात्रा इतिहास को ट्रैक करना आसान हो गया.
बिग डेटा की मदद से, अधिकारी सीमा सुरक्षा गार्डों को व्यक्तियों के हेल्थ स्टेटस भेजने में सक्षम थे. यह हेल्थ स्टेटस संदेश पास के रूप में दिए गए हैं.
जिन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या अधिक थी, वहां मरीजों को ट्रैक किया गया और मोबाइल फोन की ट्रैकिंग कर उन्हें अलग किया गया.
कनाडाई कंपनी ब्लूडॉट कोरोना वायरस के प्रकोप के बारे में चेतावनी देने वाली पहली कंपनी थी. हर दिन इस कंपनी का एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) बॉट 65 भाषाओं में प्रकाशित लाखों लेखों, समाचारों और ब्लॉग पोस्टों के माध्यम से बदल जाता है.