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जानें, कोरोना से निबटने में कितना मददगार है डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर

कोरोना वायरस जैसी महामारी पर अंकुश लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अहम बताया गया है. जानें कोरोना के संक्रमण और प्रसार से निबटने के लिए टेक्नोलॉजी की कितनी जरूरत है...

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Published : Apr 4, 2020, 5:14 PM IST

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डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण और प्रसार को रोकने और भविष्य के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की आपात स्थितियों से निबटने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एकीकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए. लोगों की निगरानी से संबंधित डाटा का विश्लेषण संगरोध की बेहतर तरीके से निगरानी में मदद कर सकता है.

इसके अलावा टेक्नोलॉजी का उपयोग क्लस्टर और वायरल वैक्टर की पहचान और रोकथाम के उपायों को लागू करने में मदद के तौर पर किया जाता है.

केरल में कोविड-19 संदिग्धों पर नजर बनाए रखने और यात्रा इतिहास की जानकारी लेने के लिए कॉल सेंटर खोले गए.

इसके साथ ही बारीकी से जांच के लिए सरकार और राज्य पुलिस के डाटाबेस में चेहरा, मोबाइल फोन ट्रेस करना शामिल हैं. इसके साथ ही डाटा का भी विश्लेषण किया जाता है.

चीन में कोविड-19 के प्रकोप के तुरंत बाद ताइवान ने नेशनल हेल्थ कमांड सेक्टर स्थापित किया. इसके साथ ही सरकार ने क्षेत्र के अंदर और बाहर के यात्रियों पर प्रतिबंध लगाया.

बिग डाटा का उपयोग करके संक्रमितों की पहचान की. साथ ही उनके इस प्रयोग ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही फर्जी खबरों पर भी अंकुश लगाया.

आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी, माइग्रेशन, सीमा शुल्क, अस्पताल दौरा, उड़ान टिकटों के क्यूआर कोड जैसी सूचनाओं को मिलाकर एक डेटाबेस बनाया गया था.

एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) एल्गोरिदम की मदद से लोगों को समय पर सतर्क किया गया. इससे स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए मरीजों के यात्रा इतिहास को ट्रैक करना आसान हो गया.

बिग डेटा की मदद से, अधिकारी सीमा सुरक्षा गार्डों को व्यक्तियों के हेल्थ स्टेटस भेजने में सक्षम थे. यह हेल्थ स्टेटस संदेश पास के रूप में दिए गए हैं.

जिन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या अधिक थी, वहां मरीजों को ट्रैक किया गया और मोबाइल फोन की ट्रैकिंग कर उन्हें अलग किया गया.

कनाडाई कंपनी ब्लूडॉट कोरोना वायरस के प्रकोप के बारे में चेतावनी देने वाली पहली कंपनी थी. हर दिन इस कंपनी का एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) बॉट 65 भाषाओं में प्रकाशित लाखों लेखों, समाचारों और ब्लॉग पोस्टों के माध्यम से बदल जाता है.

कंपनी ने 31 दिसंबर, 2019 को चेतावनी दी थी कि सार्स जैसी घातक बीमारी चीन के वुहान में फैलने वाली है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना वायरस को 'सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित करने से नौ दिन पहले यह चेतावनी दी गई थी.

ब्लूडॉट सिस्टम ने अधिकारियों को मंदारिन में एक लेख के बारे में चेतावनी दी थी कि वुहान में एक बाजार में घूमने के बाद 27 लोगों को गंभीर निमोनिया से पीड़ित पाया गया था.

ब्लूडॉट के 40 कर्मचारियों में डॉक्टर, पशु चिकित्सक, संक्रामक रोग विशेषज्ञ, डेटा वैज्ञानिक और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स शामिल हैं.

वह प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और मशीन लर्निंग का उपयोग करके 65 भाषाओं में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण करते हैं.

यदि उन्हें बीमारी के प्रकोप के कोई संकेत मिलते हैं तो वह अलर्ट हो जाते हैं. यह ब्लूडॉट ही था, जिसने 2016 में ब्राजील से फैले जीका वायरस के बारे में अमेरिका को आगाह किया था.

चीन में लगभग 80 प्रतिशत लेनदेन कैशलेस है. उन्हें अली पे और वीचैट जैसे ऐप के जरिए किया जाता है. चीनी अधिकारी इस डेटा का उपयोग लगातार अपने नागरिकों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए कर रहे हैं और तुरंत कार्रवाई कर रहे हैं.

स्वास्थ्य क्षेत्र में, निमोनिया के घावों का पता लगाने और इसकी मात्रा, आकार और घनत्व को मापने के लिए एआई का उपयोग पहले से ही किया जा रहा है. यह उचित निर्णय लेने और रोगियों के स्वास्थ्य मूल्यांकन में तेजी लाने में डॉक्टरों की मदद करने के लिए डेटा प्रदान करता है.

हालांकि, कई संगरोध में डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं और बहुत कुछ लॉकडाउन चरण के दौरान घर से काम करने का विकल्प चुन रहे हैं.

कुछ शोधकर्ता और निजी संस्थाएं अपनी राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित कर रही हैं, जो समय स्थान और प्रसार के अनुसार बीमारी के बारे में जानकारी देती है.

गौरतलब है कि पूरा विश्व कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रहा है. दुनियाभर में 10,98,762 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और 59,172 लोगों की संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है. वहीं, 228,923 लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है.

इसके साथ ही कोरोना वायरस को मात देने के लिए भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन किया गया है.

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