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Published : Dec 15, 2020, 10:34 PM IST

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गृह मंत्रालय कर रहा बंगाल के पांच अफसरों पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी

पश्चिम बंगाल में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले के बाद केंद्र ने कुछ अफसरों को दिल्ली तलब किया था, लेकिन वह नहीं गए. केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और तीन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सभी कानूनी विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

केंद्रीय गृह मंत्रालय
केंद्रीय गृह मंत्रालय

नई दिल्ली : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले को लेकर पश्चिम बंगाल के पांच अफसरों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है. इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं. हालांकि, यह पता चला है कि गृह मंत्रालय पश्चिम बंगाल के केंद्रीय सेवा के अधिकारियों के खिलाफ हाल के घटनाक्रमों के बाद कोई कानूनी कार्रवाई करने से पहले सभी बिंदुओं पर गौर कर रहा है. वजह ये कि यह आईएएस और आईपीएस बिरादरी को नकारात्मक संकेत दे सकता है. राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य का क्या रुख रहता है, ये देखना होगा.

राज्य ने कहा, अफसर राज्य छोड़ने में सक्षम नहीं
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने बंगाल के मुख्य सचिव अल्पन बंदोपाध्याय और डीजीपी वीरेंद्र को सोमवार को नॉर्थ ब्लॉक में बैठक के लिए बुलाया था, इसका मकसद राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करना था.

राज्य सरकार ने केंद्र को सूचित किया कि अधिकारी 'मौजूदा स्थिति के कारण' राज्य छोड़ने में सक्षम नहीं हैं. मंत्रालय के तीन आईपीएस अधिकारियों राजीव मिश्रा (आईजीपी, दक्षिण बंगाल), प्रवीण कुमार त्रिपाठी (डीआईजी, प्रेजिडेंट रेंज) और भोलानाथ पांडे (एसपी, दक्षिण 24 परगना) को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए दिए गए कॉल को भी राज्य सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य में अच्छे अधिकारियों की कमी है.

अधिकारियों को बुलाना केंद्र का विशेषाधिकार
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कहा कि 'केंद्र के पास राज्यों से केंद्रीय सेवा के अधिकारियों को बुलाने का विशेषाधिकार है, जहां तक ​​अधिकारी को राहत देने की बात है, यह चिंता राज्य सरकार की है.'

मामले में गृह मंत्रालय ने भी दलील दी है कि केंद्रीय सेवा के अधिकारियों को डीओपीटी पर रखने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी है. सिंह ने कहा, ' कुछ समय के लिए राज्य अधिकारियों को अपने साथ जोड़े रख सकते हैं, लेकिन एक निश्चित अवधि के बाद अधिकारियों को अपना आधार बदलना ही होगा.'

क्या कहता है नियम
भारतीय पुलिस सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 6 के अनुसार, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के मामले में असहमति होने पर केंद्र सरकार तय करेगी कि अफसर डेपुटेशन पर रहेगा या वापस जाएगा. बंधित राज्य सरकार या राज्य सरकारें केंद्र सरकार के निर्णय को प्रभावी करेंगी.

इसमें आगे कहा गया है कि यदि किसी अधिकारी को केंद्रीय पद के लिए चुना जाता है और वह स्वयं या राज्य सरकार के उदाहरण पर रिपोर्ट नहीं करता है, तो उसे भारत सरकार के तहत एक पद के लिए पांच साल के लिए विचाराधीन किया जाएगा. केंद्र और राज्य सरकार दोनों सामूहिक रूप से सहमत होने पर किसी भी केंद्रीय सेवा अधिकारी के खिलाफ वापस बुलाने की कार्रवाई हो सकती है.

राजीव कुमार का मामला भी चर्चा में रहा था
सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली में भाग लेने पर गृह मंत्रालय ने पिछले साल फरवरी में तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ भी कार्रवाई करने का इरादा किया था. हालांकि तब राज्य सरकार ने राजीव कुमार को यह कहते हुए बचा लिया था कि अधिकारी ने किसी धरने में हिस्सा नहीं लिया है.

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