नई दिल्ली : गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने सुझाव दिया है कि असम के मूल निवासियों के लिए राज्य विधानसभा में दो-तिहाई सीटें आरक्षित की जानी चाहिए और स्थानीय जनता को परिभाषित करने के लिए 1951 को कट-ऑफ वर्ष बनाना चाहिए.
सूत्रों ने बताया कि समिति ने असम में विधान परिषद के गठन की भी सिफारिश की और राज्य के बाहर के लोगों की आवाजाही पर नियंत्रण के लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की भी वकालत की.
समिति ने असम विधानसभा में मूल निवासियों के लिए सीटों के आरक्षण के लिहाज से दो फॉर्मूले सुझाये जिनमें उनके लिए दो-तिहाई सीटें (67 प्रतिशत) के आरक्षण का सुझाव शामिल है.
13 सदस्यीय समिति के तीन सदस्यों को छोड़कर बाकी ने असम विधानसभा और राज्य की लोकसभा सीटें राज्य के मूल निवासियों के लिए आरक्षित करने का सुझाव दिया है. बाकी तीन सदस्यों का सुझाव है कि विधानसभा और लोकसभा में शत प्रतिशत सीटें स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होनी चाहिए.
एक सूत्र ने कहा, 'हमने उल्लेख किया है कि कोई असहमति नोट नहीं है लेकिन विधानसभा और लोकसभा सीटों के आरक्षण के लिए दो सुझाव हैं.'
राज्य के मूल निवासियों के लिए 67 प्रतिशत आरक्षण के अतिरिक्त अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है.
सूत्र ने कहा, 'इसलिए अगर इसे स्वीकार किया जाता है तो आरक्षण 83 प्रतिशत हो जाएगा.'