नई दिल्ली : हाल ही में जारी, भारत एचआईवी अनुमान 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में 15 से 49 वर्ष के व्यस्कों में 0.22% प्रतिशत मामले सामने आए हैं. 2017 में, वयस्क एचआईवी फैलने के 0.25% मामले होने का अनुमान लगाया गया.
आंकड़ों के मुताबिक, पुरूषों में 0. 25 प्रतिशत जबकि महिलाएं 0.19% एडस से ग्रस्त हैं. 2001 में यह आंकड़ा 0.38% था जबकि, 2007 में 0.34%, 2012 में 0.28% और 2015 में 0.26% और 2017 में 0.22% था.
1990 से 2017 के दौरान भारत में वयस्कों में एचआईवी
2017 में, राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में मिजोरम में सबसे अधिक 2.04%, एचआईवी ग्रस्त लोग थे. इसके बाद मणिपुर में 1.43%, नागालैंड में 1.15प्रतिशत, तेलंगाना में 0.70%, और आंध्र प्रदेश में 0.63% एचआईवी पीड़ित थे.
इन राज्यों के अलावा, कर्नाटक में 0.47%, गोवा में 0.42%, महाराष्ट्र में 0.33%, और दिल्ली में 0.30%, इस संक्रमण से ग्रस्त हैं.
इसके अलावा तमिलनाडु में 0.22 प्रतिशत लोग एचआईवी पीड़ित है जबकि अन्य राज्यों और केंद्र शासित राज्यों मे यह तादाद 0.22 प्रतिशत से कम है.
2017 में राज्यवार वयस्क एचआईवी 2017 में भारत में HIV के साथ रहने वाले लोगों की कुल संख्या 21.40 लाख आंकी गई है. यह तादाद 15 साल से कम आयु के बच्चों में 0.61 लाख है जबकि 15 साल से अधिक आयु वाली महिलाओं में यह संख्या 8.79 लाख है.
सबसे बड़े सूबे का हाल
उत्तर प्रदेश में लगभग 1.34 लाख लोग एचआईवी ग्रस्त हैं. इस मामले पर यूपी स्टेट एड्स नियंत्रण सोसायटी की काउंसलर रितु भार्गव ने बताया कि जब कोई गर्भवती एचआईवी पॉजिटिव महिला हमारे पास आती है, तो हम उसकी काउंसलिंग करते हैं. वह महिलाओं को बताती हैं कि जब तक बच्चा पैदा नहीं होता है, तब तक आपको हमारे संपर्क में रहना पड़ेगा. जिस तरह से हम बताएंगे, उस तरह से आपको सावधानी बरतनी पड़ेगी.
रितु भार्गव ने बताया कि महिला को यह भी बताया जाता है कि उसे कब कौन सी जांच करानी है. साथ ही प्रसव भी प्रशिक्षित चिकित्सक से ही कराना है. यदि कोई दिक्कत आती है तो हमें बताएं. इसके साथ ही एआरटी से महिला की दवाई शुरू कर दी जाती है. बच्चा जब पैदा होता है तो उस बच्चे को दवा पिलाई जाती है. फिर 45 दिन, 6 महीने और 18 महीने बाद बच्चे की जांच की जाती है. बच्चा एचआईवी निगेटिव आता है तो कोई बात नहीं और यदि कोई बच्चा एचआईवी पॉजिटिव आता है तो फिर उसे एआरटी से जोड़ कर उसका उपचार शुरू कराया जाता है.
प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर रामाशंकर ने बैच को लेकर किय जागरूक
पॉजिटिव वेलफेयर सोसायटी (आगरा) के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर रामाशंकर ने बताया कि एचआईवी पॉजिटिव महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो इसके लिए हमारी संस्था की ओर से उन्हें सिलाई और कढ़ाई का काम सिखाया जा रहा है. जिले की 50 एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं का बैच बनाया गया है, जिससे उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा.