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सात अप्रैल : विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना, इंटरनेट का सांकेतिक जन्मदिन

7 अप्रैल 1948, जब संयुक्त राष्ट्र ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की. विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व के देशों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने का दायित्व निभाती है. इसी दिन इंटरनेट का सांकेतिक जन्मदिन भी है. जानें, देश और दुनिया के इतिहास में सात अप्रैल की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा...

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Published : Apr 7, 2020, 12:08 AM IST

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नई दिल्ली : इतिहास की कई बड़ी घटनाएं सात अप्रैल की तारीख में दर्ज हैं. इनमें कुछ ऐसी घटनाएं भी हैं, जो दुनिया को आज की शक्ल तक पहुंचाने में मददगार हैं.

ऐसी ही एक घटना 7 अप्रैल 1948 की है, जब संयुक्त राष्ट्र ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की. विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व के देशों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने का दायित्व निभाती है.

दुनिया के 194 देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य तथा दो संबद्ध सदस्य हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ की इस अनुषांगिक इकाई का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में है. इस दिन को दुनियाभर में अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है.

देश-दुनिया के इतिहास में सात अप्रैल की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

  • 1818 : ब्रिटिश सरकार ने बिना मुकदमे के लोगों को निर्वासित करने और हिरासत में रखने वाला कानून बंगाल स्टेट प्रिजनर्स रेगुलेशन एक्ट पेश किया. यह कानून देश की आजादी तक प्रभावी रहा.
  • 1919 : बाबेरियन सोवियत गणराज्य की स्थापना.
  • 1920 : भारत के प्रसिद्ध सितार वादक पं. रवि शंकर का जन्म.
  • 1929 : पहली वाणिज्यिक उड़ान भारत पहुंची, जब ब्रिटेन के इंपीरियल एयरवेज की लंदन-काहिरा सेवा को कराची तक बढ़ाया गया.
  • 1946 : फ्रांस से सीरिया की आजादी का अनुमोदन.
  • 1948 : संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन का गठन.
  • 1955 : विंस्टन चर्चिल ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया.
  • 1969 : इंटरनेट का सांकेतिक जन्मदिन.
  • 1978 : अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने न्यूट्रान बम के विकास पर रोक लगाई.
  • 2010 : पटना की एक विशेष अदालत ने बिहार में एक दिसंबर 1997 को अरवल जिले के लक्ष्मणपुर और बाथे गांवों में 58 दलितों की हत्या के मामले में 16 दोषियों को फांसी और 10 को उम्र कैद की सजा सुनाई.

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