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जांबाजों का ठिकाना है आईएमए देहरादून, देश-दुनिया को दिए हजारों सैन्य अफसर

देहरादून स्थित भारत सैन्य अकादमी को जांबाजों का ठिकाना भी कहा जाता है. साल 1971 में पाकिस्तान के साथ जंग में बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग कर देने वाले सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ से लेकर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत तक इस संस्थान से होकर सेना में पहुंचे हैं.

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Published : Jun 14, 2020, 2:30 PM IST

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जांबाजों का ठिकाना है IMA देहरादून

देहरादून : दून घाटी में स्थापित विशालकाय परिसर वाले भारतीय सैन्य अकादमी को जांबाजों का ठिकाना कहा जाता है. यह भारतीय सैन्य अकादमी देश के साथ-साथ दुनिया के कई देशों को सैन्य अफसर से लेकर सेनाध्यक्ष तक दे चुका है. देखिए इंडियन मिलिट्री एकेडमी पर आधारित स्पेशल रिपोर्ट...

आईएमए में प्रवेश कई युवाओं का सपना
युवाओं का सपना है यह मिलिट्री स्कूल. यहां तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं. शारीरिक दक्षता ही नहीं बौद्धिक क्षमता में भी पारंगत कर देता है यहां का प्रशिक्षण. यह वो खास बातें हैं, जो इस संस्थान को देश ही नहीं दुनिया के सर्वोच्च संस्थानों में इसका नाम जोड़ देती है. इसलिए इस संस्थान को वीरों का स्कूल भी कहा जाता है. आप जानकर हैरान होगें कि इस संस्थान ने भारतीय सेना को 16 सेनाध्यक्ष दिए हैं.

जांबाजों का ठिकाना है IMA देहरादून

कईं देशों को सेनाध्यक्ष समेत कईं सैन्य अफसर मिले
साल 1971 की पाकिस्तान के साथ जंग में बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग कर देने वाले सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ से लेकर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत तक इस संस्थान से होकर सेना में पहुंचे हैं. यही नहीं इसी संस्थान के पहले बैच से पास आउट हुए मोहम्मद मूसा खान पाकिस्तान के सेनाअध्यक्ष रहे हैं, जबकि स्मिथ डून ने म्यांमार (वर्मा) के सेनाध्यक्ष की कमान संभाली थी.

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देश-विदेश को मिल चुके हैं हजारों सैन्य अफसर
यह अकादमी अब तक देश को 61 हजार से ज्यादा सैन्य अफसर दे चुकी है. इसके अलावा करीब तीन हजार विदेशी सैन्य अफसर भी इस संस्थान से पास आउट हुए हैं. यहां से प्रशिक्षण लेने वाले युवा न केवल सेना में बड़े पदों पर रहे हैं, बल्कि इस संस्था के कई छात्रों ने देश और दुनिया में ओलंपियन और राजनेता के रूप में अपना मुकाम बनाया है.

अकादमी के पूर्व छात्रों को मिल चुके हैं कईं सम्मान
अकादमी के कई छात्रों ने भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान भी हासिल किया हैं. इसमें परमवीर चक्र, विक्टोरिया क्रॉस, मिलिट्री क्रॉस, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, सेना सम्मान जैसे तमाम बड़े सम्मान भी यहां के पूर्व छात्रों को मिले हैं. ब्रिगेडियर विवेक त्यागी बताते हैं कि उनके लिए गौरव की बात है कि 30 साल पहले वह इसी संस्थान से प्रशिक्षण लेकर सेना का हिस्सा बने थे और आज वह 30 साल बाद इसी संस्थान में एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में तैनात हैं.

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