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मुगल सम्राट अकबर का हरियाणा से है खास नाता, बेटे की मन्नत लेकर आए थे दादा चोखा दरगाह - दुआ मांगी

अकबर बादशाह की कोई औलाद नहीं थी, तो उन्होंने दादा चोखा से औलाद की दुआ मांगी. जिस पर दादा चोखा शाह ने कहा कि तुम्हारी फरियाद ख्वाजा सलीम चिश्ती ने स्वीकार कर ली है और तुम्हारा लड़का होगा. तुम उस लड़के का नाम सलीम रखना. देखिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची हरियाणा...

किस्सा हरियाणे का

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Published : Nov 24, 2019, 3:02 PM IST

नूंह: हरियाणा के नूंह में कस्बा पिनगवां से सटे गांव खोरी शाह चोखा के पहाड़ की चोटी में बनी वर्षों पुरानी दादा चौखा की दरगाह अपने आप में अनूठा इतिहास समेटे हुए है. मेवात में ना जाने कितने किस्से हैं जिसने भारत के इतिहास को अहम किरदार दिए. ऐसे ही हरियाणा के कुछ किस्सों और पूरानी कहानियों में को खोजते हुए, ईटीवी भारत हरियाणा की टीम पहुंची पुन्हाना के चौखा गांव में इस गांव में 500 साल पूरानी दादा चौखा शाह की मजार है.

बड़कली-पुन्हाना मार्ग पर बसा शाह चौखा गांव का यह मजार सैकड़ों फिट ऊंचाई पर बना हुआ है. इलाके में हिन्दू- मुस्लिम और अमूमन सभी धर्मों के लोग यहां मुराद मांगने और चादर चढ़ाने आते हैं. इस दुर्गम जगह पर बसे शाह चौखा की मजार के पीछे भी एक कहानी है. गांव वाले बताते हैं कि 500 साल पहले जब दादा शाह चौखा इसी जगह पहाड़ पर बैठे थे, तो कुछ लोग उनसे पूछने लगे कि आप कौन हो..? कहां से आये हो..? शाह चौखा ने उनसे बात की ग्रामीण उनसे संतुष्ट हुए और गांव में लोगों को बताया कि पहाड़ पर चोखो आदमी है यानी बढ़ियां शख्सियत है. उसी दिन से उनका नाम दादा शाह चौखा नाम पड़ गया.

दादा चोखा की दरगाह से स्पेशल रिपोर्ट

अकबर बादशाह की भरी गोद
बताया जाता है कि एक बार अकबर बादशाह फतेहपुर सीकरी से दिल्ली जा रहे थे, तो रास्ते में एक झोपड़ी में उन्होंने आराम किया. उस झोपड़ी में फकीर बाबा यानी दादा चौखा रहते थे. अकबर बादशाह की कोई औलाद नहीं थी, तो उन्होंने दादा चोखा से औलाद की दुआ मांगी. जिस पर उन्होंने कहा कि तुम्हारी फरियाद ख्वाजा सलीम चिश्ती ने कबूल कर ली है और तुम्हारा लड़का होगा. तुम उस लड़के का नाम सलीम रखना.

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अकबर बादशाह वहां से आराम करने के बाद चले गए. जब अकबर बादशाह की पत्नी को लड़का हुआ और उन्होंने उसका नाम सलीम रखा, तो फिर से वह दिल्ली के लिए आए, तब उन्होंने झोपड़ी पर रुक कर दादा का धन्यवाद करना चाहा, लेकिन तब तक दादा चौखा अल्ला को प्यारे हो गए थे. उसी के बाद अकबर बादशाह ने उनकी याद में यह दरगाह बनवाई थी.

दादा चौखा के सेवकों का है गांव
दादा चौखा की आठ भाई सेवा करते थे और आज पूरा गांव उन आठ भाइयों की औलाद है. जो आज भी दादा की सेवा करते हैं. हर गुरुवार को यहां लोगों की भीड़ देखने को मिलती है और जो चढ़ावा लोगों से इकट्ठा होता है, उसी से इसका रख-रखाव का कार्य किया जाता है.

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आज यहां चलता है मदरसा
आज भी दूरदराज से लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं. इस दरगाह में अब इस्लामिया मदरसा भी चलता है, जिसमे लगभग 200 बच्चे तालीम हासिल करते हैं. इतना ही नहीं चुनाव में तो इस मजार पर सूबे के बड़े-बड़े महारथी मुराद मांगने आते हैं. लोगों की आस्था है कि यहां सच्चे मन से मुराद मांगने पर जरूर पूरी होती है. किस्सा हरियाणा के एपिसोड में फिलहास बस इतना ही. अगले एपिसोड में हम आपको रूबरू करवाएंगे हरियाणा की एक और नई कहानी से.

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