हैदराबाद : कुछ शोधकर्ताओं द्वारा कोरोना से निपटने के लिए समूह प्रतिरक्षा (herd immunity) को संभावित इलाज के रूप में देखा जा रहा है. सामूहिक प्रतिरक्षा का मतलब जब एक समुदाय के कई लोग एक संक्रामक बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षित हो जाते हैं, जिससे रोग को फैलने से रोका जा सकता है.
क्या है सामूहिक प्रतिरक्षा-
सामूहिक प्रतिरक्षा दो तरह से की जाती है. पहला कई वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाते हैं, लेकिन जब ज्यादातर लोग संक्रमण से बचे रहते है या उसे नहीं फैलाते तो इससे संक्रमण की चेन टूट जाती है. दूसरा यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों या टीकाकरण से वंचित लोगों की रक्षा करने में मदद करता है, जिसमें बूढ़े, शिशु, छोटे बच्चे, गर्भवती महिला और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग आते हैं.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सुझाव दिया कि यह कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने या नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है.
स्वीडन का उदाहरण
स्वीडन की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी महामारी विज्ञान के प्रमुख डॉ एंडेसटैगन ने अपने बयान में कहा कि स्टॉकहोम के आसपास स्वीडन के प्रमुख हिस्सों में, सामुहिक प्रतिरक्षा का प्रभाव कुछ हफ्तों में देखा जा सकता है. जब यूरोप के प्रमुख हिस्से कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन थे, तो स्वीडन ने सार्वजनिक प्राधीकरणों पर न्यूनतम प्रतिबंध लगाकर वैश्विक प्रवृत्ति को बदल दिया.
भारत में सामूहिक प्रतिरक्षा और युवा आबादी-
प्रिंसटन विश्वविद्यालय स्थित शोधकर्ताओं की एक टीम औऱ नई दिल्ली और वाशिंगटन में स्थित सेंटर ऑफ डीजीज डायनमिक्स इकोनॉमिक्स ऑफ पॉलिसी (सीडीडीईपी) ने भारत की पहचान एक ऐसी जगह के रूप में की है, जहां सामूहिक प्रतिरक्षा काफी प्रभावी साबित हो सकती है. क्योंकि यहां पर बड़ी युवा आबादी को वायरस के संक्रमण से अस्पताल में भर्ती होने का और मृत्यु का खतरा कम हो जाता है.
प्रमुख महामारी विशेषज्ञ जय प्रकाश मुलियाल ने काह कि कोई भी देश लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं कर सकता. खास कर भारत जैसे देश में तो इसकी गुंजाइश काफी कम है.