नई दिल्ली : लाखों प्रवासी भारतीयों को तेल समृद्ध खाड़ी देशों के एकीकृत विकास में योगदान देने का श्रेय दिया जाता है, जबकि इसके बदले में उनके परिवारों को पेट्रो-डॉलर प्राप्त हुए जिससे कि वह समृद्ध हो सके. इस ही सिक्के का एक और पहलू भी है, हजारों श्रमिकों ने कई बिचौलियों और अवैध एजेंसियों पर विश्वास करने की भूल की और उज्ज्वल भविष्य की बहुत उम्मीद के साथ मध्य-पूर्व की रेगिस्तानी भूमि पर पहुंच तो गए लेकिन, वहां दयनीय परिस्थितियों में जीवन बिताने पर मजबूर हैं. जब हालात ठीक थे तब सरकारों ने बहुमूल्य विदेशी मुद्रा का योगदान देने वाले खाड़ी के श्रमिकों की बहुत प्रशंसा की थी, लेकिन जब वही श्रमिक कठिनाइयों में हैं तो वही सरकारों ने अपना मुंह फेर लिया है और अब विदेशी भूमि पर बिना अपनी मातृभूमि वापस लौटने की उम्मीद के जीवन बिताने के लिए मजबूर हैं.
सरकारों के लापरवाह रवैये पर सर्वोच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर की गई है. न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 12 राज्य सरकारों समेत सीबीआई को नोटिस जारी किए हैं.गल्फ-तेलंगाना वेलफेयर एंड कल्चरल एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ इंडियन वर्कर्स राइट्स के अध्यक्ष द्वारा दायर किए गये मुक्दमें के कारण कई प्रमुख मुद्दे प्रकाश में आ गए हैं. याचिकाकर्ता खाड़ी की जेलों में बंद 8189 लोगों के लिए और 44 मौत की सजा का इंतजार कर रहे कैदियों के लिए कूटनीतिक हस्तक्षेप और कानूनी सहायता चाहते हैं. साथ ही वे विदेश की भूमि पर गंवाने वाले श्रमिकों के शवों को वापस लाने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश की माँग कर रहे हैं ताकि उन्हें अपने देश वापस लाया जा सके. जबकि पाकिस्तान, श्रीलंका, चीन और बांग्लादेश जैसे देश अपने श्रमिकों को वापस लाने के लिए सक्रिय रूप से पहल कर रहे हैं. शिकायत यह है कि विदेशों में भारतीय दूतावास उदासीनता से काम कर रहे हैं. भारत से अशिक्षित कामगारों की अवैध तस्करी और अन्य संबंधित अपराधों की जांच करने के लिए सीबीआई को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त करने की भी एक दलील दी गई है. केंद्र और राज्य सरकारों को असहाय अशिक्षित गरीब महिलाओं को वापस लाने के लिए तत्काल समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है जो त्वरित धन की तलाश में घरेलू-कामगार और श्रमिकों के रूप में खाड़ी चली तो गईं हैं लेकिन वहाँ उन्हें दास के रूप में बेच दिया गया है और वेश्यालयों के अंधेरे जीवन में धकेल दिया गया है.