हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जुझ रही है. इस वायरस से दुनियाभर में चार लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसी बीच न्यूयॉर्क शहर के एक अस्पताल नेटवर्क माउंट सिनाई के शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोरोना वायरस के मरीज जो अस्पताल में भर्ती उनके बीच मायोकार्डियल इंजरी (दिल को नुकसान) का खतरा ज्यादा है. इससे उनकी मौत भी हो सकती है. विशेष रूप से एक गंभीर मायोकार्डियल की चोट मौत के जोखिम को तीन गुना कर सकती है. यह बात ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में कही गई है.
माउंट सिनाई के इकॉन स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर अनु लाला ने कहा कि कोरोना वायरस हृदय और रक्त वाहिकाओं को कैसे प्रभावित करता है. इस बारे में कई अटकलें लगाई गई हैं. हमारा अवलोकन अध्ययन इस पर कुछ प्रकाश डालने में मदद कर सकता है. हमने पाया कि कोरोना के साथ अस्पताल में भर्ती होने वाले 36 फीसदी मरीजों में ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ा हुआ था, जो हृदय की चोट का प्रतिनिधित्व करता है और मौत का खतरा ज्यादा रहता है.
यह निष्कर्ष चीन और यूरोप से रिपोर्ट के अनुरूप हैं. यह हेल्थकेयर पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण भी हैं. अगर कोरोना पॉजिटिव मरीज आपातकालीन कक्ष में पहुंचते हैं और उनके प्रारंभिक परीक्षण के परिणाम में ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ा हुआ हो तो डॉक्टर इन रोगियों को पहले इलाज करें और उन्हें उनका बारीकी से देख-रेख करें.
जांचकर्ताओं की एक टीम ने 27 फरवरी से 12 अप्रैल, 2020 के बीच पांच न्यूयॉर्क शहर के अस्पतालों में भर्ती 3,000 वयस्क कोरोना संक्रमित रोगियों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया. विश्लेषण किए गए रोगियों की औसत आयु 66 थी और लगभग 60 प्रतिशत पुरुष थे. सभी रोगियों में से एक-चौथाई को अफ्रीकी अमेरिकी थे और 27 प्रतिशत स्वयं को हिस्पैनिक या लातीनी के बता रहे थे. तकरीबन 25 फीसदी रोगियों में कोरोनरी धमनी की बीमारी, अलिंद कांपना और दिल की विफलता जैसी बीमारी थी. तकरीबन 25 फीसदी रोगियों में हृदय रोग जोखिम कारक मधुमेह या उच्च रक्तचाप था.
माउंट सिनाई के शोधकर्ताओं ने पाया कि 36 फीसदी अस्पताल में भर्ती कोरोना रोगियों को मायोकार्डियल इंजरी थी.
इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए शोधकर्ताओं ने मरीजों के ट्रोपोनिन के स्तर पर ध्यान केंद्रित किया जो हृदय की मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने पर जारी किए जाते हैं. (उच्च ट्रोपोनिन के स्तर का मतलब हृदय की अधिक क्षति है.) सभी रोगियों में प्रवेश के 24 घंटों के भीतर एक रक्त परीक्षण किया गया था और उन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया था.
- 64 प्रतिशत सामान्य श्रेणी.
- 17 फीसदी में सामान्य श्रेणी से थोड़े उच्च श्रेणी में .
- 19 फीसदी में सामान्य श्रेणी से काफी उच्च श्रेणी में.
उच्च ट्रोपोनिन का स्तर उन रोगियों में अधिक था जो 70 वर्ष से अधिक उम्र के थे और जिन्हें पहले से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अलिंद फिब्रिलेशन, कोरोनरी धमनी रोग और हृदयाघात संबंधी बीमारियां थीं.