नई दिल्ली : निर्भया गैंगरेप-हत्या मामले में विनय शर्मा को दोषी करार दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान विनय शर्मा के वकील ने आरोप लगाया कि उप राज्यपाल व दिल्ली के गृह मंत्री ने दया याचिका रद करने के सुझाव पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत शुक्रवार दो बजे फैसला सुनाएगी.
इस मामले पर निर्भया की मां ने मीडिया से कहा, 'कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से अपने अपने पक्ष रखे गए. फिलहाल कोर्ट ने फैसला पर रिजर्व कर लिया है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि उनकी याचिका को कल खारिज कर दिया जाएगा.'
वहीं, इस मामले पर अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि आज कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई, जिसे कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हमने दया याचिका खारिज होने के दस्तावेज मांगे, लेकिन हमें वह दस्तावेज नहीं दिए गए. इसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी ताकि हमें दस्तावेज मिल सकें.'
विनय शर्मा की दलील पर उच्चतम न्यायालय ने रिकॉर्ड पर गौर किया और कहा कि दोषी की दया याचिका ठुकराने की सिफारिश पर उप राज्यपाल और दिल्ली के गृह मंत्री ने भी हस्ताक्षर किए हैं.
उच्चतम न्यायालय विनय शर्मा का वह अनुरोध भी ठुकरा दिया, जिसमें उसकी दया याचिका खारिज करने की सिफारिश पर विचार करने की मांग की गई थी.
सुनवाई के दौरान विनय के वकील एपी सिंह ने कहा कि वे दस्तावेज पेश करेंगे, जिन पर कोई साइन नहीं किए गए हैं. हालांकि, बेंच इस पर सहमत नहीं हुई. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि सभी दस्तखत असली हैं. वकील एपी सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है.
वकील एपी सिंह की दलीलों पर जस्टिस भानुमति ने कहा कि या तो आप इस मामले पर बहस करें या हम आदेश सुरक्षित रख लें.
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दस्तावेजों के मुद्दे पर जस्टिस भानुमति ने वकील एपी सिंह से कहा, यह आपके सामने पेश करने के लिए नहीं है... यह अदालत की संतुष्टि का सवाल है कि आवेदन अस्वीकृत करने से पहले पर्याप्त विचार किया गया था.
एपी सिंह ने दया याचिका के रिकॉर्ड देखने की मांग की. इस पर जस्टिस भूषण क्रोधित हो गए. उन्होंने कहा, 'दया याचिका अस्वीकृत करने का रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश किया गया था. वकील उस रिकॉर्ड को चाहते हैं जिसे हम उसके सामने प्रस्तुत करने से इनकार करते हैं. वकील ने इसे देखने के लिए सबमिशन भी की.
यह देखा गया है कि एनसीटी के गृह मंत्री (दिल्ली सरकार) और दिल्ली के उपराज्यपाल ने हस्ताक्षर किए हैं.
पीठ ने कहा, अदालत ने वकीलों को सूचित किया है कि वे दोनों हस्ताक्षर कर चुके हैं, लेकिन फिर भी वकील रिकॉर्ड देखने पर जोर दे रहे हैं. अदालत ने रिकॉर्ड नहीं दिखाने का फैसला करती है.
इस पर वकील एपी सिंह ने कहा, 'यह फाइल मेरे मुवक्किल की दया याचिका के लिए विशिष्ट है... यह निजी काम नहीं, संवैधानिक कर्तव्य है ... मुझे समझ नहीं आता कि हम फाइल को क्यों नहीं छू सकते हैं.' उन्होंने कहा कि ओरिजनल कॉपी पर साइन नहीं किए गए हैं.
एपी सिंह ने कहा कि एक व्हाट्सएप संदेश पर हस्ताक्षर किए हैं ... केवल व्हाट्सएप संदेश पर दया याचिका खारिज कर दी गई. उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टेटस रिपोर्ट के बिना, सामाजिक जांच रिपोर्ट और नॉमिनल रोल नहीं भेजा गया था.
वकील एपी सिंह की दलीलों पर जस्टिस भानुमति ने कहा, अब आप पुरानी फाइल को सामने लाकर, केवल गलतियां उजागर करना चाहते हैं ... कृपया केवल अपनी फ़ाइल देखें.
जस्टिस भूषण ने कहा, अदालत से दया का कोई सवाल नहीं है, दया केवल राष्ट्रपति कर सकता है. उन्होंने कहा, हम पहली अपील नहीं सुन रहे हैं, आप बहस कर रहे हैं जैसे कि यह आपकी फर्स्ट अपील है.
एपी सिंह ने कहा सरकार फांसी देने वाली है, मैं बचाने की कोशिश कर रहा हूं ... वे जल्दी में हैं मुझे चिंता है. उन्होंने कहा, मैंने रिकॉर्ड हासिल करने के लिए बुधवार को सचिवालय में तीन घंटे बिताए. सचिवालय से मुझे जवाब मिला कि समय खत्म हो चुका है, आप जाएं.' एपी सिंह ने पीठ से सवाल करते हुए कहा, 'आप मुझे बताएं,मैं क्या कर सकता हूं ?'
जस्टिस भानुमति ने जस्टिस एएस बोपन्ना से बात करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक और ट्रायल है.
न्यायमूर्ति भानुमति ने जोर दिया कि दया याचिका खारिज होने के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका का दायरा काफी सीमित होता है.
जस्टिस भूषण ने कहा, आरटीआई का मतलब यह नहीं है कि आप पुरानी फाइल में से खामियों का पता लगाएं.
एपी सिंह ने कहा, कैदी के परिवार की आर्थिक स्थिति को अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए लेकिन वह प्रस्तुत नहीं किया गया... दया याचिका की अस्वीकृति अवैध थी. उन्होंने कहा कि यह उन दस्तावेजों का हिस्सा नहीं था जो उपराज्यपाल के समक्ष पेश किए थे.
पीठ की ओर मुखातिब होते हुए वकील एपी सिंह ने कहा, यदि आप कह रहे हैं कि मैंने दस्तावेज हासिल करने के लिए सचिवालय का दौरा किया, और यह गलत है तो मुझे खेद है.
उन्होंने कहा कि मंत्री परिषद से सलाह की बात कही गई... लेकिन वहां कोई मंत्री नहीं थे, वे विधानसभा का भी हिस्सा नहीं थे.
इस पर जस्टिस भानुमति ने कहा कि दिल्ली सरकार के गृह विभाग और उप राज्यपाल के समक्ष प्रासंगिक दस्तावेज नहीं पेश किए गए. आरटीआई से भी सूचना नहीं मिली. हमने इस बिंदु को नोट कर लिया, अब अन्य बिंदुओं पर बहस करें.