नई दिल्ली: अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. पांच अगस्त से शुरू हुई इस सुनवाई का बुधवार को छठा दिन था. आज की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं, इस दौरान अदालत की तरफ से उनसे सवाल पूछे गए कि क्या मंदिर को तोड़ने का आदेश बाबर ने ही दिया था, इसके क्या सबूत हैं. रामलला के वकील की तरफ से इस दौरान पुराणों का हवाला दिया गया. अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी.
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सुनवाई के दौरान रामलला के वकील ने अपनी दलील कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि हिन्दुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है; अदालत को यह जांच नहीं करनी चाहिए कि यह कितना तार्किक है.
बता दें कि मंगलवार की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं और आज भी उन्होंने अदालत के सामने पुराणों का हवाला दिया. मंगलवार को राजीव धवन ने कहा था कि रामलला के वकील सिर्फ अदालत के फैसले को पढ़ रहे हैं, कोई तथ्य नहीं दे रहे हैं. जिसके बाद अब उन्होंने पुराणों का जिक्र करना शुरू किया है.
रामलला के वकील की तरफ से अदालत में स्कन्द पुराण का जिक्र किया गया है. उन्होंने इस दौरान सरयू नदी-राम जन्मभूमि के इतिहास और महत्व के बारे में बताया.
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रामलला के वकील के द्वारा स्कन्द पुराण का जिक्र किए जाने पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप जिन शब्दों का जिक्र कर रहे हैं, उनमें रामजन्मभूमि के दर्शन का जिक्र है. इसमें किसी देवता का जिक्र नहीं है. जिसपर वकील वैद्यनाथन ने कहा कि रामजन्मभूमि ही अपने आप में देवता है.
जस्टिस बोबडे ने पूछा कि इस जगह को बाबरी मस्जिद कब से कहना शुरू किया गया? रामलला के वकील ने इसपर जवाब दिया कि 19वीं सदी में, उससे पहले के कोई साक्ष्य नहीं हैं. उन्होंने पूछा कि इसका क्या सबूत है कि बाबर ने ही मस्जिद बनाने का आदेश दिया था. क्या इसका कोई सबूत है कि मंदिर को बाबर या उसके जनरल के आदेश के बाद ही ढहाया गया था.
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