नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में भारत ने कुलभूषण जाधव मामले पर अपना पक्ष रखा. भारत की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अपना पक्ष रखा. इस दौरान साल्वे ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. चार दिनों तक चलने वाली इस सुनवाई को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.
ICJ में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे द्वारा पेश किये गए मुख्य बिंदु:
- सैन्य अदालत द्वारा जाधव की सुनवाई कानूनी प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी पूरा करने में नाकाम रही. इसे गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए.
- अनुच्छेद 36 सभी मामलों में कांसुलर एक्सेस का अधिकार देता है. जिसमें इस तरह के आरोप शामिल हैं, तो उन अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है
- जाधव की पहचान साबित करने के लिए भारत पाकिस्तान को पर्याप्त सबूत भी भेज चुका है.
- पाकिस्तान ने इस मामले से जुड़े पेपर सौंपने के भारत के आग्रह को भी नजरअंदाज किया है.
- जाधव को कांसुलर ऐक्सेस देने से मना करना द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन कर रहा है पाकिस्तान.
- हरीश साल्वे बोले, पाकिस्तान दुष्प्रचार के लिए आईसीजे का इस्तेमाल कर रहा है.
- पाकिस्तान ने आज तक इस मामले को इतना लंबा खींचने के पीछे कोई तर्कपूर्ण वजह नहीं बताई.
- पाकिस्तान सरकार ने SAARC कन्वेशन को लागू नहीं किया. उसने जाधव के मामले में वकील भी मुहैया नहीं कराए.
- हरीश साल्वे ने कहा, 'जाधव निर्दोष हैं और पाकिस्तान ने उन्हें गलत तरीके से फंसाया है.'
- पाकिस्तान ने जाधव से जबरदस्ती गुनाह को कबूल करवाया था.
- पाकिस्तान ने जाधव को काउंसलर मुहैया कराने की भारत की हर अपील को नजरंदाज किया है.
- पाकिस्तान ने जाधव को उनके अधिकार के बारे में भी जानकारी नहीं दी. पाकिस्तान ने जाधव पर तीन साल अत्याचार किया.
- अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में भारत का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि इस बात की कोई शंका नहीं है कि पाकिस्तान प्रचार उपकरण के रूप में इसका इस्तेमाल कर रहा था.
- उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जाधव को कांसुलर एक्सेस दे सकता था लेकिन उसने नहीं दिया.
- पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है: हरीश साल्वे.
- पाकिस्तान ने जाधव के अधिकारों का भी उल्लंघन किया है. पाकिस्तान की कहानी घिसीपिटी है. उसके पास सबूत नहीं है.
- पाकिस्तान जाधव को काउंसलर ऐक्सेस देने के लिए समझौते से बंधा हुआ है. इसके लिए भारत की ओर से पाकिस्तान को करीब 13 बार अवगत कराया गया लेकिन पाकिस्तान ने इसका कोई जवाब नहीं दिया.
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