नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद मामले में सातवें दिन की सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथ ने न्यायालय में कहा कि अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर ने 16 अप्रैल 1950 को विवादित स्थल का निरीक्षण किया था, उनकी रिपोर्ट शिव की आकृति वाले स्तंभ की मौजूदगी दिखाती है.
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वैद्यनाथन ने ढांचे के भीतर देवाओं के तस्वीरों का एक एलबम भी पीठ को सौंपा और कहा कि मस्जिदों में इस तरह के चित्र नहीं होते हैं.
वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित जमीन के नक्शे और फोटो में साफ देखा जा सकता है कि खम्भों में श्रीकृष्ण, शिव तांडव और श्रीराम के बाल रूप की तस्वीर बनी हुई है.
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वैद्यनाथन ने आगे कहा कि सिर्फ नमाज अदा करने से कोई भी जगह उनकी नहीं हो सकती. नमाज तो सड़क पर भी होती है. इसका मतलब यह नहीं कि सड़क आप की हो गई.
राजीव धवन ने कहा कि कार्बन डेटिंग केवल कार्बनिक पदार्थों का किया जा सकता है न कि ईट और लोहे के पदार्थों का किया जाता है. न्यायधीश बेवड़े ने कहा कि हमने सिर्फ खुदाई के दौरा प्राप्त खंभों, मूर्तियों के कार्बन डेटिंग के बारे में पूछा है.