नई दिल्ली: आयोध्या मामले में संवैधानिक पीठ ने आज 36वें दिन की सुनवाई की. इस दौरान हिंदू दलों ने अपना पक्ष रखा. वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने उच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों को दोहराते हुए अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि अयोध्या में ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे विशाल संरचना की मौजूदगी के बारे में साक्ष्य संदेह से परे हैं और वहां खुदाई से निकले अवशेषों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां मंदिर था.
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि उच्च सदन ने ये आदेश दिया था कि विवादित स्थल की खुदाई की जाए. इससे ये पता लगाया जाए कि विवादित ढांचे के नीचे कोई और ढांचा मौजूद है या नहीं.
आपको बता दें, वैद्यनाथन ने ये बात मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश मीनाक्षी अरोड़ा की दलीलों पर कही. दरअसल, मीनाक्षी ने ये तर्क दिया था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट निर्णायक नहीं है.
गौरतलब है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट में कहा गया था कि विवादित ढांचे के नीचे हिंदू ढांचे के अवशेष मौजूद हैं.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों की यह दलील सही नहीं है कि विवादित ढांचे के नीचे बना ढांचा ईदगाह की दीवार या इस्लामिक संरचना है.
वैद्यनाथन ने मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों के जवाब में कहा, 'पहले उनका दावा था कि वहां कोई संरचना ही नहीं थी, बाद में उन्होंने कहा कि यह इस्लामिक ढांचा या ईदगाह की एक दीवार थी. हम कहते हैं कि वह मंदिर था जिसे ध्वस्त किया गया और खुदाई के दौरान मिले स्तंभों के आधार इसकी पुष्टि करते हैं.'
उन्होंने कहा, 'यह किसी भी संदेह से परे साक्ष्य है कि इसके नीचे एक संरचना थी.'
बता दें, इस मामले के संबंध में वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर ने मीडिया से बातचीत की और सुनवाई से संबंधित जानकारी साझा की.
मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर ध्वस्त किये जाने के बारे में कोई निश्चित साक्ष्य या तथ्य नहीं है.