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मध्य प्रदेश मामला : सुप्रीम कोर्ट की दो टूक- ये बच्चों की कस्टडी नहीं है

मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होगी. इससे पहले बुधवार को कोर्ट में कांग्रेस और भाजपा के वकीलों ने दलील पेश कीं. कांग्रेस ने कोर्ट में कहा कि राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट का आदेश देने का अधिकार नहीं है. वहीं भाजपा ने कोर्ट में दलील दी कि बहुमत है या नहीं इसका पता फ्लोर टेस्ट से चल जाएगा. बागी विधायकों ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने विचारधारा के आधार पर इस्तीफा दिया है.

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Published : Mar 18, 2020, 4:21 PM IST

Updated : Mar 19, 2020, 12:12 AM IST

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होगी. इससे पहले बुधवार कोर्ट में कांग्रेस और भाजपा के वकीलों ने दलील पेश कीं. कांग्रेस के वकीलों की दलील थी कि उनके विधायक कस्टडी में हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि वे बच्चे नहीं है. यह बच्चों की कस्टडी का मामला नहीं है कि आपको मिलने की इजाजत दी जा सके. कोर्ट ने पूछा कि आखिर स्पीकर ने इन विधायकों के इस्तीफे पर कोई फैसला क्यों नहीं लिया. उन्होंने आगे पूछा कि क्या विधायक यहां आ जाएंगे, तो वे कोई भी निर्णय ले सकेंगे.

सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की फ्लोर टेस्ट कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही है.

सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई:

  • मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संविधान के अनुच्छेद 212 का उल्लेख किया, जिसमें सदन के भीतर की कार्रवाई पर अदालतों के संज्ञान लेने पर रोक लगाई गई है.
  • बागी विधायकों ने न्यायालय से कहा कि वे संविधान के अनुसार नतीजा भुगतने को तैयार हैं, लेकिन कांग्रेस नेताओं से नहीं मिलना चाहते.
  • बागी विधायकों ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफे दबाकर बैठ नहीं सकते, उन्होंने न्यायालय से कहा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष कुछ इस्तीफे स्वीकार कर सकते हैं और कुछ अन्य को ठुकरा सकते हैं.
  • बागी विधायक ने कहा कि उन्होंने विचारधारा के कारण इस्तीफा दिया, अदालत उसकी पेचीदगी में नहीं जा सकती, विधानसभा अध्यक्ष अनिश्चितकाल के लिए इस्तीफे को लेकर बैठ नहीं सकते.
  • वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि इस्तीफा देने का अधिकार संवैधानिक है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का कर्तव्य त्यागपत्र स्वीकार करने का है.
  • मध्य प्रदेश के बागी विधायकों ने न्यायालय से कहा कि उन्होंने अपनी स्वतंत्र इच्छा से किये गए फैसले की संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की. यही बात शपथ लेकर हलफनामे में भी कही गई है.
  • कांग्रेस के बागी विधायकों ने न्यायालय से कहा कि हमारा अपहरण नहीं किया गया है और एक सीडी के जरिए हम अदालत में ये साक्ष्य पेश कर रहे हैं.
  • बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि वे कांग्रेस नेताओं से नहीं मिलना चाहते. उन्हें बाध्य करने के लिए कोई कानूनी सिद्धांत नहीं है.
  • रोहतगी ने कहा कि कैसे कोई राजनीतिक दल याचिका में बागी विधायकों तक पहुंच की मांग कर सकता है. उन्होंने याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाए.
  • मुकुल रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि बागी विधायक भोपाल जाएं ताकि उन्हें लुभाया जा सके और वह खरीद-फरोख्त कर सके.
  • मुकुल रोहतगी ने कहा कि विकल्प के तौर पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल कल बागी विधायकों से मिल सकते हैं और इसकी वीडियो रिकार्डिंग कर सकते हैं.
  • शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायाधीश के चैंबर में सभी 16 बागी विधायकों को पेश करने की पेशकश की, जिसे न्यायालय ने ठुकरा दिया.
  • न्यायालय ने विधानसभा तक निर्बाध पहुंच और अपनी पसंद स्वतंत्र रूप से जाहिर करना सुनिश्चित करने के तौर तरीकों पर वकीलों से सहायता करने को कहा.
  • न्यायालय ने मध्य प्रदेश के बागी विधायकों के मामले में कहा- संवैधानिक अदालत के तौर पर हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है .
  • न्यायालय ने कहा कि उसे सुनिश्चित करना है कि ये 16 विधायक स्वतंत्र रूप से अपनी पसंद को जाहिर करें.
  • न्यायालय ने कहा कि वह इस बात का फैसला करने के लिए विधायिका की राह में नहीं आ रहा है कि किसे सदन का विश्वास हासिल है.
  • न्यायालय ने कहा कि फिलहाल उसे पता है कि 16 बागी विधायक मध्य प्रदेश में पलड़ा किसी भी ओर झुका सकते हैं.
  • न्यायालय ने कहा कि 16 बागी विधायक या तो सीधा सदन के पटल पर जा सकते हैं या नहीं, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें बंधक नहीं बनाया जा सकता.
Last Updated : Mar 19, 2020, 12:12 AM IST

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