नई दिल्ली : साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के चार में से तीन दोषियों ने शुक्रवार की सुबह होने वाली फांसी से बचने के लिए एक और दांव चलते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी है. हालांकि, कुछ बिंदुओं पर कोर्ट देर रात 11.25 के बाद भी सुनवाई कर रहा है.
कोर्ट में सुनवाई
- कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील एपी सिंह पर गुस्साते हुए कहा कि अब समय है जब आपके क्लाइंट भगवान से मिलें.
- आप हमारा समय बर्बाद न करें. यदि आप कोई अहम सबूत नहीं दे सकते तो हम आपकी इस अंतिम घड़ी में कोई मदद नहीं कर सकेंगे.
- आपके पास सिर्फ 4 या 5 घंटे हैं, यदि आपके पास कोई पॉइंट है तो उसे कोर्ट के सामने पेश करें. कोर्ट ने इस दौरान कहा कि आपकी याचिका हमें ठोस नहीं लग रही है.
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने वकील एपी सिंह से कहा कि केवल कानूनी बिंदुओं पर बात करें, हम यह नहीं समझ रहे हैं कि आप यहां क्या तर्क दे रहे हैं.
मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फिजियोथेरेपी की 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार करने को लेकर दोषी ठहराया गया है. दोषियों को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे मृत्यु होने तक फांसी के फंदे से लटकाया जाना है.
सात साल तीन महीने पहले दिल्ली में एक चलती बस में हुई निर्भया के साथ हुई दरिंदगी की घटना ने पूरे राष्ट्र को झकझोर कर रख दिया था.
यह पहला मौका है जब दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर तिहाड़ जेल में चार लोगों को एक साथ फांसी दी जानी है. जेल अधिकारियों ने मंगलवार शाम इसके लिए तैयारी शुरू कर दी थी.
दोषियों की फांसी के क्रियान्वयन को एक अदालत को तीन बार इस आधार पर टालना पड़ा था कि दोषियों ने अपने सारे कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया है और किसी ना किसी की दया याचिका राष्ट्रपति के पास थी.
हालांकि, बृहस्पतिवार को चारों दोषियों के लिए सारे कानूनी रास्ते बंद होते नजर आए.
निर्भया मामला : कल सुबह दी जाएगी फांसी, डेथ वारंट पर रोक नहीं
उच्चतम न्यायालय ने मुकेश सिंह की वह याचिका खारिज कर दी कि वह वारदात के समय दिल्ली में नहीं था. न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने कहा कि सिंह ने अपने सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है और किसी नये साक्ष्य पर गौर नहीं किया जाएगा.